न्यूज अपडेट्स
शिमला, 25 सितंबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए बागवानी विभाग में आउटसोर्स आधार पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने कहा कि विभाग को राज्य सरकार की नियमितीकरण नीति के अनुरूप कार्य करना होगा और दो वर्ष की अनुबंध सेवा पूरी करने के बाद याचिकाकर्ताओं को नियमित सेवा में लाना होगा।
900 कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
इस फैसले से विभाग में कार्यरत करीब 900 कर्मचारी लाभान्वित होंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में कहा गया कि वे लंबे समय से विभाग में सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता (सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इंस्ट्रूमेंट), ड्राफ्ट्समैन, फैसिलिटेटर, सर्वेक्षक, तकनीकी अधिकारी और प्रोग्रामर के रूप में काम कर रहे हैं।
रेगुलर होंगे आउटसोर्स कर्मी
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि इन्हें जानबूझकर आउटसोर्स आधार पर रखा गया ताकि नियमितीकरण नीति का लाभ न मिल सके। दूसरी ओर, सरकार की दलील थी कि आउटसोर्स कर्मचारी सीधे विभाग के नहीं, बल्कि सोसायटी के कर्मचारी हैं और ऐसे में वे नियमितीकरण की नीति के पात्र नहीं हैं।हालांकि, हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता नियमितीकरण के हकदार हैं और उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए।
शिक्षा विभाग पर सख्त हुआ हाईकोर्ट
वहीं, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा निदेशक शिमला के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उनका वेतन अगले आदेश तक रोकने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने यह आदेश अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि अदालत ने 10 जून 2024 को फैसला सुनाया था, जिसमें प्रतिवादी को उनके पक्ष में सहायता अनुदान (ग्रांट-इन-एड) का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। इसके लिए अदालत ने आठ सप्ताह का समय भी दिया था, लेकिन आदेश का पालन आज तक नहीं किया गया।
SMC शिक्षकों से जुड़ा मामला
यह मामला वर्ष 2014 से लंबित है और उच्च पाठशालाओं एवं वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में तैनात SMC शिक्षकों से जुड़ा हुआ है। अदालत ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई अब 2 दिसंबर को निर्धारित की गई है।