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शिमला, 14 सितंबर। नगर निगम शिमला की विभागीय जांच में आशियाना-2 हाउसिंग प्रोजेक्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। गरीबों के लिए बने मकानों पर हक जताने के लिए एक महिला सरकारी कर्मचारी ने फर्जी बीपीएल प्रमाणपत्र का सहारा लिया और मकान हासिल कर लिया। मामले के उजागर होने के बाद निगम ने ढली पुलिस थाने में शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आरोपी महिला की पहचान संतोष कुमारी के रूप में हुई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, वह सरकारी कर्मचारी होते हुए भी खुद को बीपीएल वर्ग से बताकर मकान का आवंटन करा बैठी। जब निगम ने उससे जवाब तलब किया और मकान खाली करने के आदेश दिए तो उसने मानने से इनकार कर दिया।
नगर निगम के अतिरिक्त एसई-कम-प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभियंता धीरज कुमार ने शिकायत में कहा कि बीपीएल प्रमाणपत्र केवल उन्हीं परिवारों को जारी किए जा सकते हैं जिनकी सालाना आय 35 हजार रुपये से कम हो और जिनके पास न जमीन हो न घर। यह प्रक्रिया पटवारी और तहसीलदार के सत्यापन के बाद पूरी होती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह फर्जी प्रमाणपत्र नियमों को दरकिनार कर कैसे जारी हुआ।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के आशियाना-2 प्रोजेक्ट के तहत ढली क्षेत्र में 90 आवास गरीब परिवारों के लिए बनाए गए थे। वर्ष 2016 से 2020 के बीच इनका आवंटन हुआ था। नियमों के मुताबिक ये मकान केवल वास्तविक बीपीएल परिवारों को ही मिलने थे, लेकिन निगम को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर आवास कब्जा लिए हैं।
अब पुलिस जांच में यह खुलासा होने की संभावना है कि इस गड़बड़ी के पीछे और कौन-कौन से अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और भी बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं।
