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बिलासपुर, 21 सितंबर। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में शुक्रवार देर रात आतंकियों से हुई भीषण मुठभेड़ में भारतीय सेना के लांस दफादार बलदेव चंद (35) वीरगति को प्राप्त हो गए। बिलासपुर जिला की सनीहरा पंचायत के गांव थेह निवासी बलदेव चंद की शहादत की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
पिछले तीन-चार दिनों से परिवार का बलदेव चंद से संपर्क नहीं हो पा रहा था। परिजनों ने जब यूनिट से जानकारी ली तो पता चला कि वे आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन में डटे हुए हैं। 17 सितंबर को आखिरी बार घर से उनकी बात करवाई गई थी। उस समय बलदेव चंद ने परिवार से कहा था, “यहां नेटवर्क कमजोर है, ऑपरेशन जारी है। जैसे ही खत्म होगा, फोन करूंगा।” लेकिन किसे पता था कि यही उनकी अंतिम बातचीत होगी।
परिवार में मातम
शहादत की सूचना शुक्रवार आधी रात को घर पहुंची तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बूढ़े माता-पिता, पत्नी और सात साल का बेटा गहरे सदमे में हैं। छोटा बेटा, जो दूसरी कक्षा में पढ़ता है, बार-बार दरवाजे की ओर देखता है जैसे पिता की वापसी का इंतजार कर रहा हो।
देश सेवा की विरासत
बलदेव चंद का जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ। उनके पिता विशन दास सेना से सेवानिवृत्त हैं, जबकि चाचा और ताया भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। देशभक्ति की इसी परंपरा से प्रेरित होकर बलदेव चंद ने 2011 में सेना जॉइन की थी।
आखिरी मुलाकात
बलदेव चंद जुलाई में छुट्टी लेकर घर आए थे और 3 अगस्त को फिर ड्यूटी पर लौट गए थे। परिवार और गांव वालों को क्या पता था कि वह आखिरी बार सबको गले लगाकर जा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वे बेहद मिलनसार, विनम्र और मददगार स्वभाव के थे।
शहीद की शहादत पर गांव और क्षेत्र में शोक की लहर है। लोग कहते हैं कि बलदेव चंद की वीरता और देशभक्ति हमेशा याद रखी जाएगी।
