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हमीरपुर, 10 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. रमेश भारती पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन पर महिला प्रशिक्षु और स्टाफ ने प्रिंसिपल डॉ. रमेश भारती पर अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं और इसी जांच के लिए राज्यपाल की तरफ से जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना के अनुसार, राज्यपाल ने यह कमेटी महिला प्रशिक्षुओं और स्टाफ के प्रति डॉ. रमेश भारती के अनुचित व्यवहार से संबंधित आरोपों की जांच के लिए बनाई है. गठित कमेटी में डॉ. राकेश शर्मा, निदेशक, मेडिकल एजुकेशन, हिमाचल प्रदेश, डॉ. मिलाप शर्मा, प्रिंसिपल, राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, टांडा, डॉ. प्रवीन कुमार शर्मा, कंट्रोलर ऑफ एग्ज़ामिनेशन, मेडिकल यूनिवर्सिटी, मंडी और डॉ. ऋतु शिलाक, प्रोफेसर (फार्माकोलॉजी), आरकेजीएमसी हमीरपुर को भी शामिल किया गया है।
अहम बात है कि जांच कमेटी ने मंगलवार को अस्पताल में जाकर जांच की है और आरोप लगाने वालों सहित अन्य के बयान दर्ज किए हैं. फोन पर कई बार प्रिंसिपल से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने और प्रशिक्षण लेने वाली छात्राओं और स्टाफ ने प्रिंसिपल के खिलाफ गंभीर शिकायतें दी हैं।
विधायक ने भी खोला मोर्चा
हमीरपुर के बड़सर के भाजपा विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने इस मामले पत्रकार वार्ता की और प्रिंसिपल को पद से हटाने की मांग उठाई. विधायक ने कहा कि उक्त अधिकारी पर महिलाओं और प्रशिक्षु छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में भी संलिप्त रहा है. लखनपाल ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में जिम्मेदारी देना उचित नहीं है।
भाजपा विधायक ने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को इस अधिकारी के साथ न जाने कौन सा लगाव है, जो बार-बार इसे हमीरपुर में तैनात किया जाता है. विधायक ने मांग की कि मुख्यमंत्री को तत्काल प्रभाव से इस अधिकारी को पद से हटाना चाहिए।
पहले भी विवादों में रह चुका अधिकारी
लखनपाल ने पत्रकारों को बताया कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अधिकारी पर संगीन आरोप लगे हों. उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले टांडा और चंबा मेडिकल कॉलेज में भी इसी अधिकारी के खिलाफ गंभीर शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. विधायक ने कहा कि ऐसे विवादित व्यक्ति को जिम्मेदारीपूर्ण पद पर बनाए रखना छात्रों और संस्थान की गरिमा के साथ खिलवाड़ है।
