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शिमला, 16 सितम्बर। हिमाचल प्रदेश में इस बार हुई भारी बरसात ने तबाही की ऐसी तस्वीरें पेश की हैं, जिन्हें देखकर पूरा प्रदेश दहल गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जाता मानसून जानमाल और संपत्ति दोनों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है। सुंदरनगर के निहरी क्षेत्र में भारी बारिश से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पानी, सिंचाई और बिजली योजनाओं को भी गंभीर क्षति पहुंची है।
सीएम सुक्खू ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और नुकसान को कम से कम करना है। साथ ही उन्होंने माना कि जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) भी इस बढ़ती आपदा का एक प्रमुख कारण है।
मुख्यमंत्री ने बागबानों की फसल को हुए नुकसान पर चिंता जताते हुए कहा कि अब सरकारी संस्थान नदियों से 100 मीटर की दूरी पर ही बनाए जाएंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए धर्मपुर बस स्टैंड का जिक्र किया, जहां नदी किनारे बने होने के चलते केवल बसों को ही 6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर के आमरण अनशन पर बोलते हुए सीएम ने कहा कि उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा गंभीर है और इस पर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि विधायक ने उनके व्यक्तिगत अनुरोध पर अनशन समाप्त किया है।
केंद्रीय मंत्रियों के दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम ने कहा कि केवल विजिट करने से समस्याएं हल नहीं होंगी, इसके लिए धनराशि और विशेष पैकेज की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार युद्ध स्तर पर राहत कार्य चला रही है और जिन परिवारों के पूरे घर तबाह हुए हैं, उन्हें 7 लाख रुपये तक की राहत राशि दी जाएगी।
सीएम ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता पर कहा कि अभी तक पीडिएनए के तहत केवल 400 करोड़ रुपये की पहली किश्त ही मिली है। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि सरकार हर संभव मदद करेगी और इस आपदा के घावों को भरने का प्रयास जारी रखेगी।
