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चंबा, 04 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और खराब मौसम के चलते मणिमहेश यात्रा संकट में आ गई है। कुगती ट्रेक पर बीते दिनों रास्ता भटकने और मौसम की मार झेलने वाले चार श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है।
मणिमहेश में फंसे कई श्रद्धालु
मगर उनके शव अब तक सुरक्षित बाहर नहीं लाए जा सके हैं। लगातार चार दिनों से प्रशासन की टीमें शवों को भरमौर तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन बारिश, धुंध और खतरनाक रास्तों के कारण अभियान सफल नहीं हो पा रहा।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मृतकों के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि DSP खजाना राम की अगुवाई में एक विशेष दल गठित किया गया है। इसमें पुलिस, होमगार्ड, पर्वतारोहण दल और स्थानीय ग्रामीण शामिल हैं। यह दल मौसम में थोड़ी राहत मिलते ही शवों को निकालने के लिए ट्रैक पर भेजा जाएगा।
CM सुक्खू ने केंद्र से रेस्क्यू को मांगे 5 हेलीकॉप्टर
भरमौर में करीब 700 श्रद्धालु अभी भी फंसे हुए हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगते हुए एयरफोर्स से पांच से छह अतिरिक्त हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। सरकार द्वारा किराए पर लिए गए दो निजी चॉपर शुक्रवार सुबह से श्रद्धालुओं को एयरलिफ्ट कर रहे हैं। प्रत्येक हेलिकॉप्टर में सिर्फ पांच लोग बैठ सकते हैं, ऐसे में सभी को सुरक्षित निकालने में कई दिन लग सकते हैं।
कहां भेजे जा रहे श्रद्धालु?
रेस्क्यू के बाद श्रद्धालुओं को चंबा के करियां लाया जा रहा है। यहां से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के यात्रियों को सरकारी बसों के माध्यम से पठानकोट भेजा जा रहा है, जबकि हिमाचल के श्रद्धालुओं को कांगड़ा जिले के नूरपुर तक पहुंचाया जा रहा है। प्रशासन ने पुष्टि की है कि अब मणिमहेश झील और भरमौर के बीच कोई भी यात्री फंसा नहीं है, सभी को भरमौर तक सुरक्षित ले आया गया है।
विदित है कि, बीती 24 से 26 अगस्त के बीच चंबा जिले में हुई मूसलाधार बारिश ने सड़कों और पुलों का अस्तित्व मिटा दिया है। भरमौर से चंबा तक का रास्ता कई जगह पर पूरी तरह टूट चुका है। ऐसे में श्रद्धालुओं को बाहर निकालने के लिए सड़क मार्ग का कोई विकल्प नहीं बचा। सरकार और प्रशासन अब पूरी तरह एयरलिफ्ट अभियान पर निर्भर हैं।
जानकारी के अनुसार, सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद से इन शवों को पठानकोट पहुंचाया गया, जहां उन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया। इनमें से दो श्रद्धालु पठानकोट के रहने वाले थे, जबकि एक गुरदासपुर और एक होशियारपुर जिले से संबंधित थे। यात्रा के दौरान हुई मौत के बाद खराब मौसम और मार्ग बाधित होने की वजह से ये शव भरमौर में ही अटके हुए थे।