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कुल्लू: पूर्व एसडीएम विकास शुक्ला समेत तीन पर यौन शोषण व सामूहिक दुष्कर्म के प्रयास का केस दर्ज

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कुल्लू, 29 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पूर्व एसडीएम विकास शुक्ला के खिलाफ गंभीर आरोपों में मामला दर्ज हुआ है। शुक्ला पर शादी का झांसा देकर तीन साल तक यौन शोषण करने और सामूहिक दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप लगे हैं। इस मामले में एक अधिवक्ता और एक प्रॉपर्टी डीलर भी नामजद किए गए हैं।

पीड़िता ने थाना कुल्लू में दर्ज अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि विकास शुक्ला ने उसके साथ लंबे समय तक यौन शोषण किया और जब उसने शादी की बात की तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। पीड़िता का आरोप है कि 24 सितंबर 2024 को उसे एसडीएम आवास पर बुलाया गया, जहां प्रॉपर्टी डीलर और अधिवक्ता के साथ मिलकर उसे प्रताड़ित किया गया।

घटना के दौरान प्रॉपर्टी डीलर ने दरवाजा बंद कर पीड़िता का मोबाइल और पर्स छीन लिया, वहीं अधिवक्ता ने वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की। आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म का प्रयास किया और बाद में पीड़िता को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। पीड़िता का कहना है कि आरोपियों ने उसका फोन ब्यास नदी में फेंक दिया और अश्लील वीडियो इंटरनेट पर प्रसारित करने की धमकी दी।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि वह तीन साल से पुलिस के पास शिकायत कर रही थी, लेकिन आरोपियों के ऊंचे प्रभाव के चलते कार्रवाई नहीं हुई। एक पुलिसकर्मी पर भी आरोप है कि उसने उसकी मर्जी के बिना बयान लिखकर जबरन अंगूठा लगवा लिया। अब यह पुलिसकर्मी भी जांच के घेरे में आ गया है।

मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़िता ने सोशल मीडिया के माध्यम से सुंदरनगर के फ्रीलांसर रिपोर्टर अश्वनी सैनी से संपर्क किया और जान को खतरे की बात कही। इसके बाद अधिवक्ता आनंद शर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव ने पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव और कुल्लू एसपी को तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए।

पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, सामूहिक दुष्कर्म प्रयास, धमकी, मारपीट और एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इन धाराओं के तहत आरोपियों को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

फिलहाल मामले की गहन जांच चल रही है और पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं पीड़िता की सुरक्षा को लेकर भी उच्चस्तरीय बंदोबस्त किए गए हैं। यह मामला न केवल प्रशासनिक अधिकारियों की छवि पर सवाल खड़े करता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया में देरी और प्रभावशाली लोगों की पकड़ को भी उजागर करता है।

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