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कुल्लू दशहरा: 16 साल बाद बदलेगा भगवान रघुनाथ के रथ का कपड़ा, जानें देवरथ की खासियत

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कुल्लू, 28 सितंबर। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में देव रथों का विशेष महत्व है और इनकी कारीगरी सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र रही है। इन्हीं में से एक है कुल्लू का भगवान रघुनाथ का रथ, जो अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है। इस बार दशहरे की विशेषता यह है कि पूरे 16 साल बाद भगवान रघुनाथ के रथ का कपड़ा बदला जा रहा है।

रथ के बाहरी आवरण को बदलने के लिए लगभग 300 मीटर कपड़े का इस्तेमाल किया जाएगा। परंपरा के अनुसार सरवरी निवासी दर्जी सूबे राम ने कपड़े की सिलाई की है, जबकि कपड़ा भुंतर से खरीदा गया है। इसके अलावा रथ की सीढ़ियों में भी बदलाव किया गया है और रथ की मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। रथ 1 अक्टूबर तक तैयार कर लिया जाएगा और 2 अक्टूबर को ढालपुर मैदान में लाकर नए कपड़े से सजाया जाएगा।

भगवान रघुनाथ का रथ विशेष लकड़ी से तैयार होता है, जो कोठी पीज के आराध्य देवता जमदग्रि ऋषि की भेंट के रूप में मानी जाती है। इसके निर्माण का अधिकार भी केवल कुछ विशेष परिवारों को ही प्राप्त है। रथ को खींचने के लिए रस्से का निर्माण भी परंपरागत रूप से कुल्लू जिले की खराहल घाटी के देहणीधार, हलैणी, बंदल और सेऊगी गांवों के लोग करते हैं।

2 अक्टूबर को जब रथ यात्रा ढालपुर पहुंचेगी तो सबसे पहले रथ की पूजा होगी। इसके बाद भगवान रघुनाथ, माता सीता और हनुमान जी की मूर्तियां रथ पर विराजमान की जाएंगी। खास बात यह है कि यात्रा के दौरान रथ पर केवल पुजारी ही विराजमान होते हैं, जबकि हजारों श्रद्धालु रस्से से रथ को खींचकर अस्थाई शिविर तक पहुंचाते हैं।

कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा इस बार और भी खास होने जा रहा है क्योंकि 16 साल बाद रथ को नए स्वरूप में सजाकर भक्तों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

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