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शिमला, 23 सितंबर। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक ओर जहां कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पा रही है, वहीं निगम के चालक-परिचालक दो साल से वर्दी का इंतजार कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि वर्दी न मिलने के बावजूद बिना वर्दी ड्यूटी करने पर चालकों और परिचालकों के 1000 से 1500 रुपये तक के चालान काटे जा रहे हैं।
चालक-परिचालकों का कहना है कि जब प्रबंधन की ओर से वर्दी उपलब्ध ही नहीं करवाई गई है तो चालान किया जाना अन्याय है। एचआरटीसी परिचालक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष प्रीत महेंद्र और महासचिव दिपेंद्र कंवर ने कहा कि अब दो साल हो गए हैं और कर्मचारियों को नई वर्दियां नहीं मिलीं। रोजाना इस्तेमाल होने वाली पुरानी वर्दियां अब फट चुकी हैं। ऐसे में जब तक नई वर्दियां नहीं दी जातीं, चालान पर रोक लगनी चाहिए।
सर्व कर्मचारी यूनियन के महासचिव खमेंद्र गुप्ता ने कहा कि वर्दी न होने की जिम्मेदारी प्रबंधन की है। इसके बावजूद चालकों-परिचालकों को चालान भरना पड़ रहा है, जो कि उनके लिए आर्थिक बोझ है। उन्होंने मांग उठाई कि जब तक वर्दी उपलब्ध नहीं होती, चालान की राशि प्रबंधन को ही वहन करनी चाहिए।
गौरतलब है कि निगम चालक-परिचालकों को हर साल दो वर्दियां देता है – एक गर्मियों और एक सर्दियों की। सितंबर माह तक कर्मचारियों को चौथी वर्दी मिलनी थी, लेकिन अभी तक नहीं मिली। इस संबंध में निगम प्रबंधन का कहना है कि वर्दियों के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है और जल्द ही कर्मचारियों को नई वर्दियां उपलब्ध करवाई जाएंगी।