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शिमला, 18 सितंबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना समय की मांग है। उन्होंने युवाओं से वनों के संरक्षण और हरित हिमाचल बनाने के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2023 से 2025 के बीच जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसी स्थितियों को देखते हुए ग्राम वन प्रबंधन समितियों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। ये समितियां वन विभाग के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों पर नज़र रखेंगी और उनके योगदान के लिए सम्मानित भी की जाएंगी। वनों की रक्षा और कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार वन मित्रों की नियुक्ति कर रही है।
उन्होंने सोलन जिला की नालागढ़ तहसील के दभोटा में उत्तर भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की आधारशिला रखी और कहा कि यह राज्य को हरित ऊर्जा की दिशा में नई पहचान देगा।
प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में 72 मेगावाट क्षमता वाली सात परियोजनाएं निजी कंपनियों को आवंटित की गई हैं और 325 मेगावाट सौर परियोजनाओं के लिए सर्वेक्षण जारी है। राज्य 200 किलोवाट क्षमता वाले संयंत्रों के माध्यम से 200 हरित पंचायतों का विकास कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई पहलें गिनाईं
स्कूली छात्रों को 60 हज़ार स्टेनलेस स्टील की पानी की बोतलें वितरित करने की घोषणा
प्लास्टिक पर कड़े नियम और गैर-पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए सीमेंट संयंत्रों से समझौते
राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्राधिकरण (कैंपा) से 143.35 करोड़ रुपये की स्वीकृति
“प्लास्टिक चैलेंजिंग मोबाइल ऐप” की शुरुआत, जिसके माध्यम से 13 विभागों के अधिकारी डिजिटल रूप से चालान जारी कर सकेंगे
सुक्खू ने कहा कि हरित गलियारों का निर्माण, ई-वाहनों का प्रोत्साहन, ग्रीन स्कूल कार्यक्रम और इको-विलेज के विकास जैसे प्रयास हिमाचल प्रदेश को स्वच्छ और हरित राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
