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हिमाचल: पिता ने थामा ट्रक का स्टीयरिंग, बेटी ने थामी न्याय की कुर्सी, गांव का नाम किया रौशन

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ऊना, 28 सितंबर। हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद प्रदेश भर से सफलता की प्रेरणादायक कहानियां सामने आ रही हैं। इन्हीं में से एक है ऊना जिले के बसदेहड़ा गांव की सिमरनजीत कौर की कहानी, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद जज बनकर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। 

सिमरनजीत कौर के पिता अमरीक सिंह पेशे से ट्रक चालक हैं। बेटी की सफलता पर वह भावुक होकर कहते हैं कि ट्रक चलाते-चलाते घर पर कम ही समय दे पाते थे, लेकिन आज बेटी ने उन्हें जिस मुकाम पर खड़ा किया है, उसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने इस उपलब्धि का बड़ा श्रेय अपने ताया योगा सिंह के बेटे इकबाल सिंह और उनकी पत्नी हरप्रीत कौर को दिया।

सिमरनजीत की शिक्षा यात्रा भी उतनी ही प्रेरणादायक रही। उन्होंने पहली से 12वीं तक की पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल, मैहतपुर से की, इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की और फिर एलएलएम की पढ़ाई पूरी की। न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने चंडीगढ़ के एक कोचिंग सेंटर से मार्गदर्शन लिया। इस दौरान उन्होंने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता पाई, लेकिन उनका लक्ष्य न्यायिक सेवा में जाना ही था।

सिमरनजीत का कहना है कि उनकी सफलता के पीछे केवल कठिन परिश्रम और परिवार का सहयोग है। वह रोजाना 15 से 18 घंटे तक पढ़ाई करती थीं। परिवारजन बताते हैं कि सिमरनजीत ने कभी भी शॉर्टकट का सहारा नहीं लिया, बल्कि मेहनत को ही अपनी सफलता की कुंजी बनाया। उनकी इस उपलब्धि से पूरे गांव में जश्न का माहौल है और सिमरनजीत आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं जो विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए भी बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखते हैं।

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