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हाईकोर्ट ने जब्त की नायब तहसीलदार की गाड़ी, आदेशों की अवहेलना पर बड़ी कार्रवाई

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 09 सितंबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने संबंधी अपने पूर्व आदेशों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए रामपुर के नायब तहसीलदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। न्यायालय ने न केवल सरकारी उदासीनता पर नाराजगी जताई, बल्कि अनुशासनहीनता का ठोस उदाहरण पेश करते हुए नायब तहसीलदार की स्कॉर्पियो गाड़ी को चाबियों सहित जब्त करने का आदेश दिया है। यह गाड़ी अब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंडी के सचिव को सौंपी जाएगी और इसका उपयोग आपदा राहत कार्यों के लिए किया जाएगा।

अदालत के आदेश पर भी अधिकारियों ने नहीं की कार्रवाई 

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पुष्पानंद बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार मामले की सुनवाई के दौरान पारित किया। मामला वर्ष 2019 से लंबित है, जिसमें याचिकाकर्ता ने एनएच-5 से अपने घर तक एंबुलेंस रोड निर्माण की मांग की थी। अदालत ने 8 अप्रैल 2025 को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि संबंधित अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

हाईकोर्ट ने जब्त की नायब तहसीलदार की गाड़ी

सुनवाई के दौरान रामपुर के नायब तहसीलदार सुरेश कुमार नेगी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हुए। अदालत ने पाया कि अधिकारियों को कई अवसर दिए गए, लेकिन कार्रवाई टालमटोल और लापरवाही से ग्रस्त रही। यहां तक कि जब 1 सितंबर तक आदेशों की अवहेलना पर दंड की चेतावनी दी गई, तब भी 14 अगस्त को महज़ बेदखली वारंट जारी करने तक ही मामला सीमित रह गया और अनुपालन की अंतिम तिथि 30 नवंबर निर्धारित कर दी गई। खंडपीठ ने इस रवैये को अदालत की अवमानना माना और दो टूक कहा कि जब तक आदेशों का पूर्ण पालन नहीं होता, गाड़ी जब्त ही रहेगी।

हाईकोर्ट का बदलता रुख

हिमाचल हाईकोर्ट का यह कोई पहला सख्त फैसला नहीं है। हाल ही में एचआरटीसी कर्मचारियों के लंबित वेतन और अन्य देनदारियों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एचआरटीसी की एक गाड़ी को जब्त करने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने तब भी यह स्पष्ट किया था कि सरकारी संस्थाएं अगर कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं करतीं, तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। इसी क्रम में अब तहसील स्तर के अधिकारी पर भी कठोर कार्रवाई की गई हैए जो यह संकेत देता है कि हिमाचल हाईकोर्ट अब आदेशों की अवहेलना को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

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