न्यूज अपडेट्स
शिमला, 15 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में 89 श्रेणियों के करीब 15 हजार कर्मचारियों से हायर ग्रेड पे का लाभ वापस लेने की अधिसूचना पर मचे बवाल के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह अधिसूचना न्यायसंगत नहीं थी और इससे सरकार की बेवजह किरकिरी हुई है। उन्होंने मुख्य सचिव को मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट जल्द सौंपने के निर्देश दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिस अधिकारी ने यह अधिसूचना जारी की थी, उसके खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री अगला कदम उठाएंगे। सीएम सुक्खू इस पूरे घटनाक्रम से खासे नाराज बताए जा रहे हैं और उन्होंने संकेत दिए हैं कि दोषी अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि हायर ग्रेड पे केवल भविष्य में भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए रोकने का प्रावधान था, लेकिन 6 सितंबर को वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर वर्तमान में लाभ उठा रहे कर्मचारियों को भी इससे वंचित कर दिया। जैसे ही यह आदेश सामने आया, प्रदेशभर में विरोध शुरू हो गया और विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
विवाद गहराने पर खुद मुख्यमंत्री को सामने आकर कर्मचारियों को आश्वस्त करना पड़ा कि फिलहाल लाभान्वित कर्मचारियों को हायर ग्रेड पे मिलती रहेगी। इसके बाद 8 सितंबर को अधिसूचना स्थगित कर दी गई।
ओपीएस से बढ़ा वित्तीय बोझ
उधर, सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने का वादा पूरा किया था। इससे करीब 1.36 लाख कर्मचारी ओपीएस के दायरे में आए हैं। पहले जहां कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर 2,500 से 3,000 रुपए तक पेंशन मिलती थी, वहीं ओपीएस लागू होने के बाद अब यह बढ़कर 25,000 से 30,000 रुपए तक पहुंच गई है।
हालांकि, ओपीएस से राज्य सरकार पर भारी वित्तीय बोझ भी पड़ा है। सरकार को हर माह करीब 1,600 करोड़ रुपए का कट लग रहा है। वहीं, केंद्र सरकार ने इस कारण वित्तीय पाबंदियां भी लगा दी हैं। इतना ही नहीं, एनपीएस के लगभग 10 हजार करोड़ रुपए भी केंद्र सरकार के पास फंसे हैं, जिन्हें नियमों का हवाला देकर लौटाने से इनकार कर दिया गया है।
