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बिलासपुर, 13 सितंबर। जिला बिलासपुर के अंतर्गत हाई स्कूल मंगरोट में मिड-डे मील हेल्पर की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है। ग्रामीणों और महिलाओं ने आरोप लगाया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और सबसे ज़रूरतमंद परिवारों की महिलाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार इस पद के लिए पाँच महिलाओं ने आवेदन किया था, जिनमें एक विधवा, एक बेहद गरीब महिला जिनके पाँच छोटे बच्चे हैं, और वह महिला भी शामिल थीं, जिसने छह महीने तक रिटायर हेल्पर की जगह सेवा दी थी। ग्रामीणों का कहना है कि इन सबको नज़रअंदाज़ कर उस परिवार की महिला को चुना गया जिसके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं, पति ठेकेदार हैं और हाल ही में उन्होंने कार भी खरीदी है।
ग्रामीणों ने इस मामले में डीसी बिलासपुर राहुल कुमार से शिकायत दर्ज कराई थी। शिक्षा विभाग ने दो बार जांच कराई और दोनों बार नियुक्त महिला को क्लीन चिट देते हुए पद पर बने रहने की अनुमति दी। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि लो-इनकम सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की गई है। तहसीलदार बालकृष्ण ने बताया कि यह सर्टिफिकेट सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर जारी होता है और इसकी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की होती है।
लगातार विरोध और शिकायतों के बाद अब यह मामला विजिलेंस विभाग तक पहुँच गया है। ग्रामीणों और महिलाओं को उम्मीद है कि निष्पक्ष जांच के बाद सही तथ्य सामने आएंगे।
सोशल मीडिया पर भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों ने कमेंट कर भ्रष्टाचार पर नाराजगी जताई और कहा कि यदि दस्तावेजों की सही जांच नहीं हुई तो गलत लोगों को नौकरी मिलना आम बात बन जाएगी। गांव की महिलाओं ने साफ कहा है कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेंगी और जब तक न्याय नहीं मिलता, संघर्ष जारी रहेगा।
