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बिलासपुर, 24 सितंबर। पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग ने हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बिलासपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में गर्ग ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग के तहत चल रहा इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (आईडीपी) का कार्यालय भ्रष्टाचार और लूट का अड्डा बन चुका है।
गर्ग ने आरोप लगाया कि मंत्री की नाक के नीचे भ्रष्टाचार हो रहा है, जो यह साबित करता है कि इसमें उनका पूरा समर्थन है। उन्होंने बताया कि 20 सितंबर को आईडीपी के तहत 74 लाख रुपये के 14 प्रोजेक्ट के टेंडर खोले गए थे, लेकिन जब भाजपा समर्थित ठेकेदार फॉर्म भरने पहुंचे तो कार्यालय में कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। इस दौरान कांग्रेस से जुड़े लोगों ने ठेकेदारों के साथ धक्का-मुक्की और बदसलूकी भी की।
पूर्व मंत्री के अनुसार, जब स्थिति बिगड़ी तो वे स्वयं मौके पर पहुंचे और आईडीपी के डीपीओ से टेंडर रद्द करने की मांग की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अगले दिन ठेकेदारों ने दोबारा प्रयास किया और पुलिस में शिकायत भी दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गर्ग ने बताया कि दबाव के चलते टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि एक दिन के लिए बढ़ाई गई। लेकिन फॉर्म जमा करने पहुंचे ठेकेदारों को कांग्रेस से जुड़े लोगों ने धमकियां दीं कि उन्हें काम नहीं करने दिया जाएगा। अंततः अब सभी टेंडर रद्द कर दिए गए हैं।
गर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारी ठेकेदारों को बहकाकर उनके नाम पर ठेके ले रहे हैं और साल में चार-चार गाड़ियां बदल रहे हैं। इससे उनकी बेनामी संपत्ति का खुलासा होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी ठेकेदारी कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री ने सरकार से मांग की कि आईडीपी कार्यालय को तत्काल बंद किया जाए और सभी प्रोजेक्ट की गहन जांच करवाई जाए।