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शिमला, 04 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की कोटखाई शाखा में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के करेंसी चेस्ट से 75 लाख रुपये गायब होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस बड़ी हेराफेरी ने न केवल बैंकिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि विजिलेंस विभाग को भी कठोर कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है।
मामला तब उजागर हुआ जब 6 अगस्त 2025 को शाखा में नियमित द्विमासिक मुद्रा सत्यापन किया गया। अधिकारियों ने पाया कि 500 रुपये के नोटों के 15 बंडल, जिनकी कुल कीमत 75 लाख रुपये थी, करेंसी चेस्ट से गायब हैं। आश्चर्यजनक रूप से बैंक के सिस्टम रिकॉर्ड और रजिस्टर में किसी भी प्रकार की विसंगति दर्ज नहीं हुई, जिससे जानबूझकर की गई हेराफेरी की आशंका और गहरी हो गई।
इसके बाद 7 अगस्त को शिमला आरबीओ-7 से एक विशेष सत्यापन दल भेजा गया। जांच में भी न तो कोई सिस्टम एरर मिला और न ही प्रेषण में गड़बड़ी। इससे साफ हो गया कि यह गबन अंदरूनी मिलीभगत से किया गया।
एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक वेद प्रकाश की शिकायत पर विजिलेंस ने तत्कालीन सेवा प्रबंधक आशुतोष कुमार चंद्रवंशी, वर्तमान सेवा प्रबंधक सुभाष पाल और रोकड़ अधिकारी दीपक कुमार पर धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार का केस दर्ज किया है। बैंक प्रबंधन का कहना है कि तत्कालीन सेवा प्रबंधक सीधे तौर पर धन की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि अन्य दोनों अधिकारी अपनी संरक्षकीय जिम्मेदारियों में विफल रहे।
विजिलेंस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 314, 316(2), 318(4), 344 और 61(2) सहित भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 13(1)(ए) सहपठित 13(2) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल यह केस स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (एसआईयू) के पास है और अधिकारियों से गहन पूछताछ की जा रही है।
एसबीआई प्रबंधन ने इस घटना को विश्वासघात और सार्वजनिक धन का गबन करार देते हुए कहा कि करेंसी चेस्ट की सुरक्षा संरक्षकों का पहला कर्तव्य होता है, जिसकी लापरवाही अब एक बड़ा घोटाला बन चुकी है। यह मामला प्रदेश में बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।