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आलमपुर (कांगड़ा)। (अनिल) हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक आभूषण दुकानदार के साथ एक ऐसी घटना घटित हुई है, जिसने न केवल उन्हें हैरान कर दिया, बल्कि पुलिस की ऑनलाइन चालान प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। मामले में हिमाचल में खड़ी स्कूटी का उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिला में चालान हो गया है। इससे भी हैरानी की बात तो यह है कि स्कूटी का यह चालान सीट बेल्ट न पहनने के उल्लंघन में हुआ था। जबकि स्कूटी जैसे दोपहिया वाहन में सीट बेल्ट होती ही नहीं है।
मोबाइल पर आया एसएमएस
पीड़ित दुकानदार सुभाष ने बताया कि उन्हें उनके मोबाइल पर एक एसएमएस आया था। जिसमें बताया गया था कि आपकी स्कूटी (नंबर: HP 56A 3920) का का चालान उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कर दिया गया है। सुभाष के अनुसार वह कभी सहारनपुर गए ही नहीं थे। उन्होंने कहा, मैंने सोचा किसी ने मजाक किया है, लेकिन जब मैंने इंटरनेट पर चालान की जानकारी देखी तो मेरी हैरानी और चिंता दोनों बढ़ गईं। चालान की डिटेल में साफ लिखा था कि गाड़ी सहारनपुर में पकड़ी गई और चालान सीधे चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट के न्यायालय में भेज दिया गया है।
पत्नी के साथ स्थानीय पुलिस चौकी पहुंचे सुभाष
इस अजीबोगरीब स्थिति से परेशान होकर सुभाष अपनी पत्नी के साथ स्थानीय चौकी आलमपुर पहुंचे। वहां पुलिसकर्मियों ने उन्हें बताया कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता और उन्होंने सहारनपुर जिला पुलिस प्रशासन से संपर्क करने की सलाह दी। यह पहली बार नहीं है जब आलमपुर के निवासी इस तरह की प्रणालीगत गड़बड़ियों का शिकार हुए हों। कुछ समय पहले एक स्थानीय व्यक्ति की मोटरसाइकिल, जो उसके घर के बाहर खड़ी थी, उसका चालान धर्मशाला में कर दिया गया था। उस समय भी काफी प्रयासों के बाद चालान रद्द करवाया गया था।
प्रशासन से उठ रहे सवाल
ऐसे मामलों से साफ है कि चालान प्रणाली में तकनीकी खामियां हैं या फिर नंबर प्लेट की क्लोनिंग जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। यदि स्कूटी जैसी दोपहिया गाड़ी पर सीट बेल्ट न पहनने का चालान हो सकता है, तो यह न केवल हास्यास्पद है, बल्कि आम जनता के लिए परेशानी का कारण भी बनता है। सुभाष ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और बेवजह लोगों को परेशान करने वाले ऐसे चालानों को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसे झूठे चालान बार.बार होते रहेंगे, तो ईमानदार नागरिकों का सिस्टम से विश्वास उठता चला जाएगा।
क्या कहता है कानून
कानून के जानकारों के अनुसार यदि किसी वाहन पर झूठा चालान किया गया है, तो संबंधित व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र की अदालत में चालान को चुनौती देने का अधिकार है। साथ ही आरटीओ विभाग में भी नंबर प्लेट की वैधता की जांच की जा सकती है। अब देखना यह है कि सुभाष को इस झूठे चालान से कैसे राहत मिलती है और क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों तक पहुंचता है या फिर यह घटना भी किसी फाइल में दबकर रह जाएगी।