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बिलासपुर, 16 अगस्त। (अनिल) बरसात की सीजन के प्रदेश भर में जलाशयों में मछली पकड़ने पर लगा प्रतिबंध शनिवार को खुल गया। प्रतिबंध हटने के बाद पहले दिन प्रदेश भर में जलाशयों में 33.06 मिट्रिक टन मछली पकड़ी गई है। इसमें से गोविंद सागर जलाशय से 13850 किलोग्राम (13.85 टन), कोलडैम से 93.00 किलोग्राम, पौंग जलाशय से 178064 किलोग्राम तथा चमेरा व रणजीत सागर से 1543.500 किलोग्राम मछली पकड़ी गई।
पहले दिन प्रदेश में सबसे बड़ी मछली 26.3 किलोग्राम की कतला प्रजाति की मछली पौंग डैम के खटियाड़ लैंडिंग सेंटर के मछुआरे श्रवण कुमार जोकि खटियाड़ सहकारी सभा के संबंधित है ने पकड़ी। इसके अलावा गोविंद्रसागर जलाशय में जबलु मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे सरवन कुमार ने जलाशय की सबसे बड़ी 25 किलोग्राम की बिग हेड मछली पकड़ी गई। चंबा जिला में संधारा मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे ओमप्रकाश द्वारा सबसे बड़ी 25 किलोग्राम कि सिल्वर कार्प मछली पकड़ी गई। कोलडैम जलाशय में बैरल मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे नरपत राम द्वारा सबसे बड़ी 5.0 किलोग्राम कि सिल्वर कार्प मछली पकड़ी गई।
मत्स्य निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि बंद सीजन खुलने के उपरान्त पहले ही दिन वर्ष 2024 में प्रदेश के जलाशयों से कुल 31.85 मिट्रिक टन मछली पकड़ी गई। जिसकी तुलना में वर्ष 2025 में कुल 33.06 मिट्रिक टन मछली पकड़ी गई व 1.21 मिट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गई।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के जलाशयों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 5 जलाशयों क्रमशः गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हेक्टेयर के करीब है में 5900 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं जबकि प्रदेश के सामान्य जलों जिनकी लंबाई 2400 किमी के लगभग है में 6000 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं।