न्यूज अपडेट्स
शिमला, 07 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के फोरलेन परियोजना प्रभावितों के लिए बड़ी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसमें फोरलेन प्रभावितों को ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। यह रोक उस समय आई है जब हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के 22 मई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
4 गुना मुआवजे पर रोक
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति नोंगमेइकापम कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने 1 अप्रैल 2015 को प्रदेश सरकार द्वारा जारी फैक्टर 1 की अधिसूचना को रद्द करते हुए प्रभावितों को फैक्टर 2 के आधार पर चार गुना मुआवजा देने का आदेश दिया था। यह फैसला न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने दिया था।
क्या है मामला?
दरअसल, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण पर फैक्टर 2 के तहत चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए, जबकि शहरी क्षेत्रों में फैक्टर 1 के तहत दो गुना मुआवजा तय है। लेकिन हिमाचल सरकार ने 2015 में केवल फैक्टर 1 की अधिसूचना लागू की, जिसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में भी केवल दो गुना मुआवजा ही दिया गया। इस फैसले को प्रभावितों ने अदालत में चुनौती दी थी।
सरकार को राहत
सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर भले ही रोक लगाई गई हो, लेकिन यह अंतिम फैसला नहीं है। अब अगली सुनवाई में तय होगा कि सरकार की फैक्टर 1 की अधिसूचना वैध थी या वास्तव में ग्रामीण प्रभावितों को चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए।
इस मामले का असर
अगर हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रहता तो सरकार को हजारों फोरलेन प्रभावितों को चार गुना मुआवजा देना पड़ता, जिससे राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ता। इसलिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिलहाल उसे बड़ी राहत मिली है।