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शिमला, 11 अगस्त। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बिशप कॉटन स्कूल (बीसीएस) के तीन बच्चों के लापता होने के मामले में जिला पुलिस ने 24 घंटों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले। इसमें स्कूल के गेट से लेकर खलीनी बाजार, रिज, मालरोड समेत जिलेभर में चौराहों और सड़कों के किनारे लगे कैमरों की पड़ताल की गई। एसएसपी शिमला संजीव कुमार गांधी की अगुवाई में पुलिस के 150 से अधिक कर्मचारी बच्चों को तलाश करने में डटे रहे। पुलिस को खलीनी चौक में उस समय अहम सुराग मिला, जब बच्चे स्कूल से कैमरों में निकलते हुए तो दिखाई दिए लेकिन खलीनी चौक पर नहीं दिखे।
इस दौरान खलीनी चौक में दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में एक दिल्ली नंबर की आईटेन गाड़ी पुलिस को दिखाई दी। इसे एक सफेद रंग की शर्ट पहने हुए चालक चला रहा था। इसी गाड़ी में तीनों बच्चों के बैठे होने का शक हुआ। इसी गाड़ी को पुलिस ने शहर समेत अपर शिमला की ओर जाने वाले रास्तों में लगे कैमरों की मदद से तलाश करने के लिए विशेष अभियान चलाया। पुलिस की टीमें रातभर गाड़ी को तलाश करती रहीं। इस दौरान कभी गाड़ी पुलिस की पहुंच से बाहर हो जाती थी कभी लगता की पकड़ में आनी वाली है। इसी जद्दोजहद में पुलिस ने रविवार दोपहर कोकूनाला के समीप चैंथला रोड पर घर से तीनों बच्चों को सही सलामत बरामद कर लिया।
परिजन रात को ही पहुंच गए थे शिमला
तीनों बच्चों के लापता होने की सूचना मिलते ही कुल्लू, मोहाली और करनाल से परिजन रात को ही शिमला पहुंच गए थे। सभी खलीनी में ही एक निजी होटल में ठहरे थे। रविवार को दिनभर परिजन स्कूल परिसर और यहां वहां बच्चों की तलाश के लिए भटकते दिखे। इस दौरान अभिभावक बच्चों के लापता होने पर बिलखते हुए भी नजर आए। लापता बच्चों में एक बच्चा पंजाब में आप सरकार के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस का रिश्तेदार है। हरजोत सिंह बैंस भी रविवार को शिमला पहुंचे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने लापता बच्चों की तलाश के लिए एडीशनल एसपी नवदीप सिंह और डीएसपी अमित ठाकुर की अगुवाई में कर में टीमों का गठन कर जांच शुरू दी है। अभी तक की जांच में पता चला है कि हर शनिवार को छठी से बारहवीं कक्षा के बच्चे आउटिंग डे पर बाहर जाते हैं। हर शनिवार को बच्चे सुबह 10:00 बजे से बाहर घूमने के लिए निकलते थे लेकिन रविवार को रिहर्सल होने के कारण बच्चे दोपहर 12:00 बजे के करीब स्कूल से बाहर निकले। इसके बाद तीनों बच्चे संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए।
बीसीएस की लाखों की फीस छात्रों की सुरक्षा पर उठे सवाल
तीन छात्रों के अपहरण की वारदात से बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। विद्यार्थियों से हर साल लाखों की फीस जी जाती है। इसके बावजूद सुरक्षा में बरती जा रही कोताही कई सवाल खड़ा करती है। स्कूल से हर शनिवार को आउटिंग डे होने पर छात्रों को घूमने के लिए बाहर भेजा जाता था। इस दौरान बच्चे मालरोड, रिज और आसपास के बाजारों में जाकर घूमने के साथ ही खरीदारी भी करते हैं लेकिन पांचवीं कक्षा से बड़े बच्चों को समूह में अकेले घूमने के लिए भेजा जाता था। गेट पर बच्चों के बाहर जाने की एंट्री की जाती है। छात्र टैक्सी, बस या पैदल किसी भी तरह से घूमने के लिए जा सकते हैं। आरोपी को इस बात का पता था। इसको देखते हुए वह पहले ही सड़क पर गाड़ी लेकर खड़ा था और जैसे स्कूल के ऊपरी गेट के बाहर तीनों बच्चे पहुंचे तो उसने उन्हें यह कहकर लिफ्ट दी कि वह उन्हें बाजार छोड़ देगा। इसके बाद आरोपी बच्चों को डराकर धमकाकर कोटखाई की ओर ले गया। घटना का पता शाम के समय तव चला जब बच्चे वापस नहीं लौटे।
24 घंटे तक 150 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी बच्चों को तलाश करने में डटे रहे
ग्रुप में आउटिंग के लिए निकले थे छात्र स्कूल गेट से निकलते ही तीनों गायब तीनों छात्र शनिवार को एकसाथ ग्रुप में आउटिंग के लिए निकले थे। स्कूल प्रबंधन के अनुसार हर शनिवार को चौथी से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्र आउटिंग पर जाते हैं। इनमें चौथी और पांचवीं कक्षा के छात्रों के साथ एक शिक्षक की ड्यूटी लगती है। वहीं, छठी से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्र ग्रुप में आउटिंग के लिए जा सकते हैं। ये तीनों एकसाथ शनिवार दोपहर 12:00 बजे स्कूल के फॉरेस्ट गेट से बाहर निकले थे। बाहर से ही यह गायब हो गए। शाम 5:00 बजे बाजार से लौटने के बाद स्कूल परिसर में सभी छात्रों की गणना की गई। जब तीन छात्र गायब मिले। बाकी छात्र इनके बारे में जानकारी होने से इन्कार करते रहे। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। छात्रों के मिलने के बाद स्कूल प्रबंधन ने बैठक की। अब सोमवार को फिर से बैठक बुलाई गई है।
तीन बच्चों के लापता होने से सहमे कारोबारी
 खलीनी बाजार में बच्चों के अपहरण की सूचना मिलने से लोगों में एक बार फिर युग हत्याकांड की यादें ताजा हो गई। दुकानदार और लोग चच्चों की सलामती के लिए प्रार्थना करते रहे। इस दौरान कारोबारियों ने पुलिस की जांच में पूरी मदद की। इसमें सीसीटीवी कैमरों की जांच के अलावा बच्चों के यहां से निकलने के बारे में भी कारोबारियों ने हरसंभव जानकारी पुलिस को उपलब्ध करवाई। पंजाब और हरियाणा पुलिस की टीमें भी पहुंचीं : बच्चों के लापता होने के चाद परिजनों के साथ ही पंजाब और हरियाणा से भी पुलिस की टीमें स्कूल पहुंची थीं। शिमला पुलिस के साथ पंजाब और हरियाणा पुलिस के जवान भी जांच में हरसंभव मदद करते रहे। 
जांच टीम में अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों को किया शामिल
एसएसपी शिमला संजीव कुमार ने तीनों छात्रों के लापता होने की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई करते एडीशनल एसपी नवदीप सिंह, डीएसपी अमित ठाकुर की अगुवाई में अनुभवी अफसरों और कर्मचारियों की टीम का गठन किया। यह टीम इससे पहले संदीप शाह, शाही महात्मा समेत कई बड़ी वारदातों को सुलझा चुकी है। पुलिस की टीम ने शनिवार रात से कालका के साथ ही जिले से दूसरे राज्यों के लिए जाने वाले रास्तों में नाकाबंदी की और इसके बाद आसपास के जंगलों को भी खंगाला। आखिरकार 24 घंटों के भीतर पुलिस ने जांच, तकनीक और कड़ी मेहनत के दम पर छात्रों को बरामद कर लिया तो वहीं आरोपी को भी पकड़ लिया।
