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हिमाचल: ईडी की बड़ी कार्रवाई - दो जगह दी दबिश, करोड़ों की संपत्ति और लग्जरी कारें जब्त, यहां जानें

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शिमला, 31 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। 1396 करोड़ से ज्यादा के बैंक लोन फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में आरोपियों की करोड़ों रूपयों की संपत्तियों को जब्त किया गया है। ED की ये कार्रवाई 30 अगस्त 2025 को ओडिशा के भुवनेश्वर में की गई।

ओडिशा का आरोपी शक्तिरंजन दास

ED के अनुसार आरोपी शक्तिरंजन दास के आवासीय परिसर और उनकी कंपनियों – M/s Anmol Mines Pvt. Ltd. (AMPL) और M/s Anmol Resources Pvt. Ltd. (ARPL) के व्यावसायिक ठिकाने शामिल हैं।

लाखों की नकदी, करोड़ों की ज्वेलरी

मनी लॉन्ड्रिंग की चल रही जांच के अंतर्गत M/s Indian Technomac Company Ltd. (ITCOL) से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में ये कार्रवाई की गई। सर्च ऑपरेशन के दौरान 13 लाख नकद सहित करीब सवा करोड़ की ज्वेलरी, कई संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज, रिकॉर्ड्स को भी जब्त किया गया है।

2 फ्रीज किए गए लॉकर खुलना बाकी

सर्च के दौरान दो लॉकर भी फ्रीज किए गए जिसे खोलना अभी बाकी है। उसके खुलने के बाद ही आगे की जानकारी मिल पाएगी। जांच एजेंसी ने कार्रवाई करते हुए 10 गाड़ियों और 3 सुपरबाइक को भी जब्त किया गया है।

कार्रवाई में जब्ती की गई लग्जरी कारें

सूत्रों के अनुसार जब्त की गई सुपरबाइक की कीमत करीब सात करोड़ आंकी जा रही है। जिन लग्जरी कारों को जब्त किया गया उनमें Porsche, Mercedes Benz, Audi A3, Mini Cooper, GLCBMW X7, Cayenne, Honda Gold Wing Bike शामिल हैं।

मामले की गंभीरता देख ED की एंट्री

इस मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश पुलिस की CID के द्वारा मामला दर्ज किया गया था और तफ्तीश की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज करके ED की एंट्री हुई।

फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिखा बैंक से ऋण

ED की शुरुआती जांच में ही हिमाचल प्रदेश पुलिस की दर्ज FIR में पता चल गया था कि ITCOL और उसके निदेशकों ने बैंकों से ऋण लेने के लिए फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गईं और नकली बिक्री दिखाकर धोखाधड़ी की। 

लोन का सही उपयोग नहीं, मनी डाइवर्ट

साल 2009 और 2013 के बीच बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से लिए गए लोन का इस्तेमाल सही से नहीं किया गया। इसके उलट लोन की रकम को डायवर्ट कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।

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