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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आम जनता की जेब पर एक और बोझ पड़ने वाला है। हाल ही में बस किराए में दोगुनी बढ़ोतरी के बाद अब सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं भी सस्ती नहीं रहने वाली हैं। सरकार पर्ची बनवाने के लिए 10 रुपये शुल्क लगाने पर विचार कर रही है, साथ ही निशुल्क जांच पर भी चार्ज की तैयारी चल रही है। इस खबर ने प्रदेश की जनता को सोच में डाल दिया है।
पर्ची के लिए 10 रुपये का प्रस्ताव
7 अप्रैल 2025 को शिमला में पत्रकारों से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने बताया कि रोगी कल्याण समिति ने सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्ची के लिए 10 रुपये शुल्क का सुझाव दिया है। अभी तक यह सुविधा मुफ्त थी, लेकिन अब इसे बदलने की योजना है। शांडिल ने कहा, “पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में भी पर्ची के लिए शुल्क लिया जाता है। इससे न सिर्फ राजस्व बढ़ेगा, बल्कि मरीजों में अनुशासन भी आएगा।” हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि इस पर अंतिम फैसला अभी बाकी है।
निशुल्क जांच पर भी शुल्क की चर्चा
सूत्रों की मानें तो सरकार सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाने वाली जांच सेवाओं पर भी शुल्क लगाने की सोच रही है। स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि मुफ्त जांच का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे सरकारी खर्च बढ़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने संकेत दिया कि बेहतर सुविधाएं देने के लिए कुछ कठिन कदम उठाने जरूरी हैं। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह खबर लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।
कर्ज के बोझ में सरकार, जनता पर भार
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार इस समय करीब एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज से जूझ रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही कह चुके हैं कि 2027 तक राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सख्त फैसले लेने होंगे। बस किराया बढ़ाने के बाद अब स्वास्थ्य सेवाओं पर शुल्क का प्रस्ताव भी इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर, विधायकों के वेतन और भत्तों में हालिया बढ़ोतरी ने जनता के बीच नाराजगी पैदा कर दी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकार कर्ज में डूबी है, तो आम आदमी पर ही बोझ क्यों डाला जा रहा है?
जनता और विपक्ष की नजरें सरकार पर
इस प्रस्ताव के बाद जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जरूरी मान रहे हैं, तो कई इसे गरीबों पर अतिरिक्त बोझ बता रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वादा किया था, लेकिन अब उल्टा कदम उठाया जा रहा है। आने वाले दिनों में इस प्रस्ताव पर सरकार का अंतिम फैसला क्या होगा, यह देखना बाकी है।