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दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया। हालांकि, इस खबर से आम जनता को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार और तेल कंपनियों ने साफ कर दिया है कि इससे पेट्रोल पंप पर कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी, लेकिन कीमतें स्थिर
वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी अब 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो गई है। पहले यह क्रमशः 11 रुपये और 8 रुपये प्रति लीटर थी। यह नई दरें 8 अप्रैल 2025 से लागू होंगी। मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (PSU OMCs) ने स्पष्ट किया है कि एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा।” इसका मतलब है कि दिल्ली में पेट्रोल 94.77 रुपये और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर पर ही मिलता रहेगा।
तेल कंपनियां उठाएंगी बोझ
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि एक्साइज ड्यूटी में हुई इस बढ़ोतरी का भार तेल विपणन कंपनियां (जैसे IOCL, BPCL, HPCL) वहन करेंगी। इसका सीधा कारण कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता होने से कंपनियों का मार्जिन बढ़ा है। सरकार ने इसी मौके का फायदा उठाते हुए ड्यूटी बढ़ाई है, ताकि उसकी आय में इजाफा हो, लेकिन आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
सोमवार को वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी कमी देखी गई। अमेरिकी बेंचमार्क WTI क्रूड 4% यानी 2.50 डॉलर गिरकर 59.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। वहीं, ब्रेंट क्रूड 2.25 डॉलर की गिरावट के साथ 63.33 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। पिछले कुछ हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी आई है, जिससे तेल कंपनियों को रिफाइनिंग और बिक्री में ज्यादा मुनाफा हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने इस गिरावट का इस्तेमाल अपनी राजस्व वृद्धि के लिए किया है।
पिछले साल की कटौती और आज का फैसला
पिछले साल 14 मार्च 2024 को आम चुनाव से ठीक पहले सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। उस वक्त यह फैसला जनता के लिए राहत भरा था। लेकिन अब ड्यूटी बढ़ाने के इस कदम को विपक्षी दलों ने आलोचना का आधार बनाया है। उनका कहना है कि जब कच्चा तेल सस्ता हो रहा है, तो जनता को इसका सीधा फायदा मिलना चाहिए था। हालांकि, सरकार का तर्क है कि यह बढ़ोतरी राजस्व संतुलन के लिए जरूरी थी और इसका असर आम लोगों पर नहीं पड़ेगा।
भारत के लिए तेल का महत्व
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। देश अपनी जरूरत का करीब 87% कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। एक्साइज ड्यूटी से होने वाली आय सरकार के लिए अहम है, जिसका इस्तेमाल विकास कार्यों और सामाजिक योजनाओं में किया जाता है।
जनता की प्रतिक्रिया
हालांकि कीमतें नहीं बढ़ रही हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सरकार की चतुराई मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि सस्ते तेल का पूरा फायदा जनता को मिलना चाहिए था। एक यूजर ने लिखा, “तेल सस्ता हो रहा है, लेकिन टैक्स बढ़ाकर सरकार ने सारा खेल बिगाड़ दिया।” वहीं, दूसरों का मानना है कि कीमतें स्थिर रहना ही राहत की बात है।