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हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक की भर्ती में गड़बड़ी और नियमों को ताक पर रखकर ऋण बांटने का मामला सामने आया है। बैंक के ही एक निदेशक ने इसे लेकर विजिलेंस से शिकायत की है। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार ने विजिलेंस को सेक्शन 4.1 विजिलेंस मैनुअल के तहत इसकी जांच करने की अनुमति दे दी है।
अब जल्द ही विजिलेंस की टीम राज्य सहकारी बैंक में दबिश दे सकती है। विजिलेंस ब्यूरो को दी शिकायत में निदेशक की ओर से बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम और प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा पर भर्ती में अनियमितताएं बरतने के आरोप लगाए गए हैं।
शिकायतकर्ता निदेशक ने पत्र में लगाए ये आरोप
शिकायतकर्ता निदेशक की ओर से विजिलेंस को दिए गए पत्र में कहा गया है कि भर्तियों को लेकर कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर कराए गए। वहीं उन्होंने ऋण के आवंटन में भी गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद सरकार के ध्यान में यह मामला लाई।
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस को जांच की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही सरकार की ओर से मामले की पूरी रिपोर्ट भी मांगी गई है। विजिलेंस के आईजी बिमल गुप्ता ने बताया कि सरकार की ओर से मामले की जांच करने की अनुमति दे दी गई हैं। जांच की जा रही है। बैंक से सारा रिकॉर्ड लिया जाएगा।
आरोप निराधार, बैंक प्रबंधन जांच के लिए तैयार : अध्यक्ष
राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम ने कहा कि निदेशक पवन चौहान ने विजिलेंस को जो शिकायत दी है, वह तथ्यों से परे है। उनका दावा है कि नियमों के तहत भर्तियां हुई हैं। यह मामला मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा के ध्यान ध्यान में भी लाया गया है। अध्यक्ष ने कहा कि मैं न गलत काम करता हूं और न ही करने देता हूं। विजिलेंस जांच के लिए बैंक प्रबंधन तैयार है।