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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्स ने पहले फर्जी दस्तावेज दिखा कर TGT की नौकरी हासिल की। फिर बतौर TGT कई साल तक नौकरी भी करता रहा और सैलरी भी लेता रहा।
फर्जी TGT मास्टर
वहीं, अब जब फर्जी शिक्षक की पोल खुली है तो उसके खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। धोखाधड़ी का यह मामला नेरवा पुलिस थाना क्षेत्र से सामने आया है।जानकारी के अनुसार, सामान्य जाति के एक शख्स पर SC का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर TGT (कला) की नौकरी लेने के आरोप लगे हैं। पुलिस थाने यह मामला अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ की शिकायत पर दर्ज किया गया है।
बनवाया फर्जी SC प्रमाण पत्र
शिकायतकर्ता ने बताया कि साल 2009 में रोशन नाम के व्यक्ति ने खुद को अनुसूचित बता कर फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया। जबकि, वो सामान्य जाति से संबंधित है। उसने इसी फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर TGT (कला) के पद पर नौकरी भी हासिल की। रोशन कई साल तक TGT की सैलरी लेकर मौज करता रहा।शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने गलत दस्तावेजों के सहारे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पद पर कब्जा किया- जो कि अनुसूचित जाति के असली पात्र उम्मीदवारों के साथ अन्याय है। अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ का कहना है कि ऐसे में मामलों से आरक्षण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
उधर, शिकायत के आधार पर नेरवा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ BNS की धारा (420) धोखाधड़ी, 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहच मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।मामले की पुष्टि करते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस टीम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी है। आरोपी टीचर के दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।