विक्रमादित्य सिंह बोले - मैंने नहीं मांगा था टिकट, सोनिया गांधी के कहने पर लड़ा चुनाव

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मंडी। हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की अगर बात करें तो मंडी लोकसभा सीट उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने के बाद से लगातार ही चर्चा का विषय बनी हुई थी। मंडी सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता विक्रमादित्य सिंह और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बीच हुई चुनावी भिड़ंत में कंगना ने जीत हासिल की।

मैंने टिकट भी नहीं मांगा था: मगर अब कंगना से चुनाव हारने के बाद विक्रमादित्य सिंह का यह कहना है कि वह चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे और ना ही उन्होंने कभी टिकट की मांग की थी। विक्रमादित्य सिंह की मानें तो कांग्रेस पार्टी की सीनियर नेता सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के कहने पर ही वह चुनाव मैदान में उतरे थे। अंग्रेजी के मशहूर अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए हालिया इंटरव्यू में विक्रमादित्य सिंह ने अपनी हार से जुड़े कई सारे सवालों के जवाब दिए हैं।

हार पर बोले- ये अनुभव मेरी मदद करेगा: इंटरव्यूअर ने जब विक्रमादित्य सिंह से यह सवाल पूछा कि मंडी सीट से आपके पिता और मंडी सीट से आपके पिता और आपकी माता प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं ऐसे में आप इस हार को अपने लिए कितना बड़ा झटका मानते हैं।

इस पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह एक ऐसा अनुभव है जो काफी लंबे वक्त तक मेरी मदद करेगा। मैं एक योद्धा हूं और युद्ध के मैदान से कभी नहीं भागता। मगर जीतना और हारना खेल का हिस्सा है, इन चुनावों में हमारे वोट शेयर में कई गुणा का इजाफा हुआ है। इसके बावजूद भी मैं यह चुनाव हार गया मगर यह हार मेरे लिए कोई झटका नहीं है अभी मैं सिर्फ 34 साल का हूं और मुझे काफी आगे जाना है। विक्रमादित्य सिंह ने यह अभी कहा कि मंडी लोकसभा सीट से ही उनके पिता वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इसके बावजूद भी वह तीन-तीन बार यहां से चुनाव जीते थे।

हार की जिम्मेदारी मैं स्वयं लेता हूं: बकौल विक्रमादित्य सिंह, मैं अपनी हार की जिम्मेदारी स्वयं लेता हूं लेकिन पार्टी भी मायने रखती है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने मेरे चुनाव अभियान के लिए काफी समय दिया। यहां तक की कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने भी दो रैलियां और रोड शो किए।

मुझे सबसे अकेले ही निपटना पड़ा: मगर पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया था और ‘मंडी की बेटी’ इस तरह के नारे देकर इस पूरे चुनाव को उन्होंने क्षेत्रीय रंग दे दिया। वहीं, कंगना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दौरों से भी काफी ज्यादा मदद मिली लेकिन मुझे इन सब से अकेले ही निपटना पड़ा।

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