हिमाचल प्रदेश चुनाव प्रबंधन कमेटी के चेयरमैन, पुर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी राम लाल ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना को कांग्रेस की राजस्थान सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही लागू कर चुकी है। देश और प्रदेश में जहां जहां कांग्रेस की सरकारें बनेगी वहां पर यह योजना लागू की जाएगी, कांग्रेस की आलाकमान यह ऐलान भी कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम में कई फायदे थे जो आज नहीं मिल रहे। पुराने सिस्टम में सैलरी से पैसा काटकर पेंशन नहीं दी जाती थी बल्कि सरकार पेंशन देती थी। नए सिस्टम में सैलरी से पैसा कटता है। ओपीएस में गारंटी पेंशन की राशि होती थी, लेकिन नए सिस्टम में ऐसा कुछ नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम या ओल्ड पेंशन स्कीम अगर उनकी सरकार बनती तो हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ जरूर मिलेगा।
सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका फैसला लिया है उसके बाद छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी इस योजना को हरी झंड़ी दे दी है। अब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही यह योजना लागू कर दी जाएगी। पुरानी पेंशन योजना 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हिमाचल प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।
देश भर के सरकारी कर्मचारी भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। यह मुद्दा गम्भीर है और अन्य कई राज्यों में भी इसकी मांग तेज हुई है। कर्मचारी अगर पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं तो इसमें इनके हकों की बात जरूर होती है। इस योजना के तहत कर्मचारियों के पहले के दिनों में आज की तुलना में अधिक फायदा मिलेगा और यह योजना एकमात्र बुढापे का सहारा बनती है। तभी पुरानी पेंशन स्कीम या ओपीएस लागू करने की मांग तेज हुई है।
उन्होंने वर्तमान भाजपा की सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा है पुरानी पेंशन योजना का आंदोलन करने वाले कर्मचारियों के आंदोलन से एक ऐसा नारा निकल कर आया है, कि वही नारा आज प्रदेश में भाजपा की सरकार को बदलने में काफी है। राम लाल ठाकुर ने कहा पुरानी पेंशन स्कीम या ओपीएस में जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा मिलती थी पेंशन के लिए सैलरी में से कोई कटौती नहीं की जाती थी रिटायरमेंट बाद फिक्स्ड पेंशन दी जाती थी।
यानी कि अंतिम सैलरी का 50 परसेंट पेंशन के रूप में मिलता था पेंशन का पूरा पैसा सरकार द्वारा दिया जाता था अगर नौकरी के दौरान सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाए, तो उसके आश्रित को नौकरी और फैमिली पेंशन दी जाती थी नेशनल पेंशन स्कीम या NPS एनपीएस के तहत जीपीएफ की सुविधा नहीं मिलती सैलरी से हर महीने 10 परसेंट पैसा काट लिया जाता है रिटायरमेंट बाद फिक्स्ड पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। कर्मचारी को कितनी पेंशन मिलेगी, यह बात स्टॉक मार्केट और इंश्योरेंस कंपनियों पर निर्भर करेगी एनपीएस में पेंशन बीमा कंपनी देगी।
किसी भी मुद्दे के मामले में आपको बीमा कंपनी से निपटना होगा एनपीएस में महंगाई और पे कमीशन का फायदा नहीं मिल पाता था। इस सभी तथ्यों को पूर्ण रूप से गौर करने पर ही प्रदेश कांग्रेस ने फैसला किया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना के लिए वह वचनबद्ध है।