हिमाचल पथ परिवहन निगम पठानकोट डिपो की बस की सोलन के समीप कमानी पिन निकल गई। पिन के निकलने से बड़ा हादसा होते-होते टला गया। चालक ने पिन निकलने की आवाज आते ही बस रोक दी। इसके चलते चालक की सूझबूझ से यह हादसा होने से बचा गया है।
इस बस में पहले भी आग लगने का मामला आ चुका है लेकिन निगम की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते फिर एक बार यात्रियों की जांन बची है। बस में 40 सवारियां स्वर थीं जिन्हें चालक अरविंदर पाल और परिचालक सतपाल सिंह ने शिमला से चंडीगढ़ की ओर जाने वाली बसों में भेजा।
जानकारी के अनुसार पठानकोट डिपो की एचपी 38ई 2691 बस शिमला से पठानकोट जा रही थी। यह बस करीब छह बजे शिमला से निकली और करीब पौने आठ बजे सोलन पहुंची। सोलन-कुमारहट्टी बायपास पर जैसे ही बस रबौन के समीप पहुंची तो पट्टे के समीप लगी कमानी पिन निकल गई।
आवाज आते ही चालक ने बस को रोका और जांच की। इसके बाद सभी सवारियों को वास्तविक स्थिति के बारे में बताया गया। शिमला से आने वाली अन्य बसों फुल कैपेसिटी के साथ चलने से रात में गंतव्य स्थान की ओर जा रही सवारियां करीब सवा नौ बजे तक परेशान होती रही।
आवाज आते ही चालक ने बस को रोका और जांच की। इसके बाद सभी सवारियों को वास्तविक स्थिति के बारे में बताया गया। शिमला से आने वाली अन्य बसों फुल कैपेसिटी के साथ चलने से रात में गंतव्य स्थान की ओर जा रही सवारियां करीब सवा नौ बजे तक परेशान होती रही।
हैरत की बात तो यह है कि बस के लाखों किलोमीटर चलने के बाद भी निगम ने लांग रूट पर दौड़ाया हुआ है। वहीं एक बार आग की घटना होने के बाद भी बस की सही प्रकार से जांच नहीं हो पाई है। सवाल यह उठता है कि निगम कब तक यात्रियों और कर्मियों की जान को जोखिम में डालकर इन बसों को लांग रुट पर भेजता रहेगा।