जांच में पाया गया कि खरीद-फरोख्त के दौरान राजस्व विभाग को रजिस्ट्री फीस कम देने के चक्कर में जमीनों की गलत जानकारियां दी गईं। अब विभाग खरीदारों को नोटिस देकर उनसे रिकवरी करने की तैयारी में है।
एसडीएम डॉ. निधि पटेल ने बताया कि सदर उपमंडल के तहत मैहतपुर और ऊना सदर तहसील में वर्ष 2021 की जमीन रजिस्ट्रियां जांची गई हैं। निरीक्षण के दौरान 12 रजिस्ट्रियों में अनियमितताएं पाई गईं और इनमें 28 लाख का चूना राजस्व विभाग को लगाया गया है। इसके अलावा शिकायत के आधार पर जांचे गए रजिस्ट्री के पुराने तीन मामलों में भी बड़े स्तर पर हेराफेरी सामने आई है। ये तीनों मामले ऊना सदर तहसील के हैं। इनमें एक मामले में 1.05 करोड़ रुपये, दूसरे में 28 लाख और तीसरे में 13 लाख रुपये की रिकवरी बनी है। इन तीनों मामलों को उपायुक्त ऊना खुद देखेंगे, ताकि नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
रजिस्ट्री के समय जमीन का नक्शा न देना, सड़क से उचित दूरी न बताना, एनएच की जगह दूसरी सड़क दर्शाना, गलत सर्किल रेट बताने जैसी खामियां जांच के दौरान पाई गई हैं। इन खामियों से यह उजागर होता है कि खरीदारों ने रजिस्ट्री फीस कम करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए हैं और विभाग ने भी इन्हें पास कर दिया। इन मामलों के बाद एसडीएम सदर ने रजिस्ट्री क्लर्क और तहसीलदारों को सख्त हिदायत जारी कर दी है। कहा गया है कि घर के फोटो, सही सर्किल रेट, सड़क से दूरी व सड़क प्रमाण पत्र, नक्शे के साथ सभी दस्तावेजों की सही जांच करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्रियां की जाएं।
इन मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को चूना लगा है। इन मामलों में जमीन की कीमत कम बताकर और स्टांप कम लगाकर हेरफेरी को अंजाम दिया गया है। पूरे प्रकरण में शामिल तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों , डीड राइटर्स व ग्रामीण राजस्व अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। सबसे अधिक गड़बड़झाला सदर तहसील में बताया जा रहा है।
एसडीएम डॉ. निधि पटेल ने बताया कि सदर उपमंडल के तहत मैहतपुर और ऊना सदर तहसील में वर्ष 2021 की जमीन रजिस्ट्रियां जांची गई हैं। निरीक्षण के दौरान 12 रजिस्ट्रियों में अनियमितताएं पाई गईं और इनमें 28 लाख का चूना राजस्व विभाग को लगाया गया है। इसके अलावा शिकायत के आधार पर जांचे गए रजिस्ट्री के पुराने तीन मामलों में भी बड़े स्तर पर हेराफेरी सामने आई है। ये तीनों मामले ऊना सदर तहसील के हैं। इनमें एक मामले में 1.05 करोड़ रुपये, दूसरे में 28 लाख और तीसरे में 13 लाख रुपये की रिकवरी बनी है। इन तीनों मामलों को उपायुक्त ऊना खुद देखेंगे, ताकि नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
नक्शा दिखाया न सही सर्किल रेट, एनएच की जगह दर्शाई दूसरी सड़क
रजिस्ट्री के समय जमीन का नक्शा न देना, सड़क से उचित दूरी न बताना, एनएच की जगह दूसरी सड़क दर्शाना, गलत सर्किल रेट बताने जैसी खामियां जांच के दौरान पाई गई हैं। इन खामियों से यह उजागर होता है कि खरीदारों ने रजिस्ट्री फीस कम करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए हैं और विभाग ने भी इन्हें पास कर दिया। इन मामलों के बाद एसडीएम सदर ने रजिस्ट्री क्लर्क और तहसीलदारों को सख्त हिदायत जारी कर दी है। कहा गया है कि घर के फोटो, सही सर्किल रेट, सड़क से दूरी व सड़क प्रमाण पत्र, नक्शे के साथ सभी दस्तावेजों की सही जांच करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्रियां की जाएं।
मंडी में उपायुक्त ने चार तहसीलों में पकड़ा एक करोड़ का गड़बड़झाला
जिला मंडी में जमीनों की रजिस्ट्री के नाम पर भी एक करोड़ रुपये का गड़बड़झाला सामने आया है। गत सप्ताह सदर, बल्ह, सुंदरनगर और जोगिंद्रनगर तहसील कार्यालयों में उपायुक्त अरिंदम चौधरी और अन्य अधिकारियों ने औचक निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच के बाद जमीन के क्रय-विक्रय की रजिस्ट्रियों में करीब एक करोड़ की हेराफेरी का खुलासा हुआ है। प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह व प्रधान सचिव (राजस्व) को भेज दी है। संबंधित तहसीलदारों, डीड राइटर्स और पटवारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, जिसमें सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।
उचित जवाब न मिलने पर लापरवाह अधिकारियों से रिकवरी होगी और निलंबन की गाज भी गिर सकती है। गड़बड़ियां किस तरह की हैं, कार्रवाई से पहले पूरी रिपोर्ट के खुलासे को लेकर प्रशासन बताने को तैयार नहीं। बता दें कि शिकायतों पर उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी राजीव कुमार व जिला राजस्व अधिकारी राजीव सांख्यान ने चारों तहसीलों का औचक निरीक्षण किया था। जमीन के क्रय-विक्रय से संबंधित रिकॉर्ड खंगालने पर अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद मामले की जांच के लिए उपायुक्त ने अधिकारियों की एक टीम गठित की थी। रिकॉर्ड खंगालने के बाद सरकारी राजस्व को करीब एक करोड़ की चपत लगने की बात सामने आई है।
जमीन की कीमत कम बताई और स्टांप भी कम लगाया
उचित जवाब न मिलने पर लापरवाह अधिकारियों से रिकवरी होगी और निलंबन की गाज भी गिर सकती है। गड़बड़ियां किस तरह की हैं, कार्रवाई से पहले पूरी रिपोर्ट के खुलासे को लेकर प्रशासन बताने को तैयार नहीं। बता दें कि शिकायतों पर उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी राजीव कुमार व जिला राजस्व अधिकारी राजीव सांख्यान ने चारों तहसीलों का औचक निरीक्षण किया था। जमीन के क्रय-विक्रय से संबंधित रिकॉर्ड खंगालने पर अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद मामले की जांच के लिए उपायुक्त ने अधिकारियों की एक टीम गठित की थी। रिकॉर्ड खंगालने के बाद सरकारी राजस्व को करीब एक करोड़ की चपत लगने की बात सामने आई है।
जमीन की कीमत कम बताई और स्टांप भी कम लगाया
इन मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को चूना लगा है। इन मामलों में जमीन की कीमत कम बताकर और स्टांप कम लगाकर हेरफेरी को अंजाम दिया गया है। पूरे प्रकरण में शामिल तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों , डीड राइटर्स व ग्रामीण राजस्व अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। सबसे अधिक गड़बड़झाला सदर तहसील में बताया जा रहा है।