हिमाचल: अनुराग के मंच पर धवाला को नहीं मिली जगह - जनता के बीच बैठ जाऊंगा - आप अपनी कुर्सी संभाल के रखना

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देहरा, 08 जून। शनिवार को भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के जन संवाद कार्यक्रम ने न सिर्फ विकास कार्यों को लेकर सुर्खियां बटोरीं, बल्कि कार्यक्रम के भीतर घटा एक दृश्य पार्टी की आंतरिक स्थिति को उजागर करता नजर आया। कार्यक्रम स्थल देहरा के जल शक्ति विभाग रेस्ट हाउस में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रमेश धवाला पहुंचे, तो संगठन के किसी नेता ने उन्हें मंच पर बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं दी।

मंच पर पहले से विधायक होशियार सिंह समर्थक मंडल अध्यक्ष, पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि, भाजपा जिला अध्यक्ष अजय खट्टा और अन्य पदाधिकारी अनुराग ठाकुर के साथ बैठे थे, मगर धवाला के पहुंचने पर किसी ने स्थान खाली नहीं किया। इस पर धवाला ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “कोई बात नहीं, मैं जनता के बीच बैठ जाता हूं, आप लोग अपनी कुर्सी संभालकर रखना।” यह वाक्य जितना सहज था, उसके पीछे का सियासी संदेश उतना ही गहरा समझा गया।

बाद में जब मीडिया ने इस अनदेखी पर प्रतिक्रिया मांगी, तो रमेश धवाला ने इसे सियासी रंग देने से इनकार करते हुए कहा, “मैं अनुराग ठाकुर को सम्मान देने आया था। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए बधाई देने का मेरा कर्तव्य था। इसमें कोई राजनीति नहीं है।” लेकिन इतना जरूर कहा कि “पत्रकार तिल का ताड़ न बनाएं”, जिससे यह संकेत तो मिल ही गया कि भीतर कुछ तो ऐसा है जो फिलहाल पर्दे में है।

धवाला ने यह भी कहा कि भाजपा द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब वह दे चुके हैं, लेकिन वह जवाब फिलहाल सार्वजनिक नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि “जल्द ही जनता के सामने सब रखा जाएगा”, जो यह दर्शाता है कि आने वाले समय में देहरा की भाजपा राजनीति में बड़ा खुलासा संभव है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अनुराग ठाकुर ने इस बीच प्रदेश सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं और परियोजनाओं को अपना बताकर उद्घाटन कर रही है, जबकि जमीनी सच्चाई कुछ और है। देहरा क्षेत्र में कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो पूरी तरह केंद्र सरकार की देन हैं।

इस अवसर पर अनुराग ठाकुर ने पर्यावरण को लेकर भी संदेश दिया और जल शक्ति विभाग रेस्ट हाउस के प्रांगण में ‘अर्जुन’ का पौधा रोपकर हरियाली और संरक्षण का आह्वान किया। यह घटना न केवल देहरा की राजनीति को नई दिशा देने वाली है, बल्कि भाजपा के भीतर वरिष्ठ बनाम युवा, पुराने बनाम नए नेतृत्व की खींचतान को भी उजागर करती है।

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