गिरावट : कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, शांति वार्ता रहा कारण

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तेल की कीमतों में मंगलवार को और गिरावट देखी गई, जो दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गई। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत के कारण युद्ध की स्थिति में सुधार की संभावनाएं जगी हैं, जिससे आपूर्ति बाधित होने की आशंका कम हुई है। इसके साथ ही, चीन में कोरोना मामलों में वृद्धि ने तेल की मांग कम होने की चिंताओं को हवा दे दी। सत्र में ब्रेंट फ्यूचर्स पहले 6 डॉलर से ज्यादा की गिरावट के साथ 100.05 डॉलर पर था, जो बाद में 4.74 डॉलर या 4.4 फीसदी गिरकर 102.16 प्रति बैरल हो गया।

यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 1 मार्च के बाद पहली बार 100 डॉलर के स्तर से नीचे आया। इसमें 4.58 डॉलर या 4.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिससे यह 98.43 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इससे पहले सत्र में यह 96.70 डॉलर तक गिर गया था। पिछले दिन दोनों बेंचमार्क में 5% से अधिक की गिरावट आई, जिसमें ब्रेंट 5.1 प्रतिशत और WTI 5.8 प्रतिशत गिरा था। इस तरह से दोनों दिनों में तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है।

फुजितोमी सिक्योरिटीज को लिमिटेड के एक विश्लेषक तोशिताका तजावा ने कहा, “रूस-यूक्रेन युद्धविराम वार्ता में सकारात्मक विकास की उम्मीदों ने वैश्विक कच्चे तेल के बाजार में जकड़न कम होने की उम्मीदों को बल मिला है।” उन्होंने कहा, “चीन में COVID-19 महामारी पर अंकुश लगाने के लिए नए लॉकडाउन ने भी धीमी मांग को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।”

गौरतलब है कि चीन में मंगलवार को दैनिक कोरोना मामलों में भारी उछाल देखा गया। एक दिन पहले के मुकाबले दोगुने नए मामले आए, जो दो साल का उच्च स्तर है। देश के उत्तर-पूर्व में वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ा है।

140 डॉलर तक गई थी कीमत


रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था। अमेरिका के रूस से आयात पर रोक लगाने और यूरोप के भी रूस से तेल खरीदने के रोक लगाने की खबरों के चलते कच्चे तेल के दामों में ये बड़ी उछाल आई थी और 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।

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