हिमाचल : पुलिस की गुंडागर्दी : एचआरटीसी कर्मी के साथ पुलिस ने थाने में की मारपीट व गाली गलौच - पीड़ित ने भेजी डीजीपी को शिकायत

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हिमाचल प्रदेश में आम आदमी का जीना बेहद मुश्किल हो चुका है। आए दिन हिमाचल में आम आदमी के साथ अपराध होने एक किस्से सामने आते रहते है। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब पुलिस विभाग के कर्मचारी कानून को ताक पर रख कर आम आदमियों के साथ अपराध को अंजाम देते है। शायद यही कारण है कि हिमाचल की आम जनता पुलिस को देखते ही भाग जाती है या फिर उनको देख कर असुरक्षित महसूस करती है।

ऐसा ही ताजा मामला कुल्लू के पतलीकुहल थाने से निकल कर सामने आया है। जानकारी के मुताबिक पुलिस थाना पतलीकुलह से एक एचआरटीसी के कर्मचारी को खिलाफ बिना एफआईआर दर्ज किए एक हुकमनामा जारी किया गया था तथा उसको एक साल पहले हुए वीडियो के मामले पर थाने बुलाया गया था। थाने पहुंचते ही पुलिस कर्मचारियों ने पीड़ित ललित राजपूत के साथ मारपीट की। जानकारी के मुताबिक हेड कांस्टेबल मनोज के पीड़ित ललित राजपूत को बिना कारण जाने 15 से 20 थप्पड़ मारे और थाना प्रभारी मनोज राठौर ने गाली गलौच किया है।

इस मामले में ललित राजपूत ने डीजीपी हिमाचल प्रदेश को शिकायत पत्र दिया है तथा दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की है। ललित राजपूत का कहना है कि मैं थाने के अंदर गेट के पास फोन सुन रहा था। उसी समय कांस्टेबल मनोज वहां आया, कांस्टेबल ने ललित का फोन छीना और घसीट कर मारपीट करते हुए अंदर ले गया। कांस्टेबल मनोज ने ललित कुमार को शिकायतकर्ताओं के सामने भी पीटा और दबाब बनाया की वह अपने यूट्यूब चैनल से पुरानी घटना के वीडियो मिटाए। 

ललित कुमार के साथ उस समय पंचायत वार्ड मेंबर जितेंद्र कुमार, उसके साथी कर्मचारी पूर्ण चंद और विक्की भी मौजूद थे।यह बेहद शर्मनाक है कि हिमाचल पुलिस ने ललित के साथ गए गणमान्य व्यक्तियों का भी मान सम्मान नही किया। बल्कि उनके सामने ही ललित कुमार के साथ मारपीट की। जबकि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय के. अग्रवाल ने पिछली साल ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि पुलिस अधिकारी और कर्मचारी किसी भी हाल में बिना एफआईआर दर्ज किए आम आदमी को ना तो थाने बुला सकते है और ना किसी तरह की जांच एक सकते है। 

यह फैसला पुलिस द्वारा की 91 में होने वाली कार्यवाही के खिलाफ दिया था। जबकि पतलीकुलह थाने की पुलिस ने हाई कोर्ट के आदेशों की सरेआम अवमानना की है। दूसरा पुलिस को किसी के साथ भी मारपीट करने का कोई अधिकार नहीं है अगर कोई पुलिस कर्मी ऐसी किसी घटना को अंजाम देता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।ललित राजपूत ने डीआईजी मंडी के माध्यम से डीजीपी हिमाचल को भेजे अपने शिकायत पत्र में मांग की है कि दोषी कांस्टेबल मनोज को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए तथा उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाए। 

अब देखना होगा कि पुलिस अधीक्षक कुल्लू और पुलिस महानिदेशक हिमाचल प्रदेश इस मामले में क्या कार्यवाही करते है। पीड़ित ललित राजपूत को न्याय मिलता है या पुलिस की गुंडा गर्दी हिमाचल में यूं ही जारी रहती है।इस मामले में जब पुलिस थाना पतलीकुलह में थाना प्रभारी से बात की गई तो उनका कहना था कि पीड़ित ललित राजपूत के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नही की गई है और एक शिकायत पर उसको थाना बुलाया गया था। थाने में पीड़ित ललित कुमार के साथ किसी भी तरह की कोई भी मारपीट नही की गई है। 

जबकि इस मामले में पीड़ित ललित राजपूत के साथ गए तीनों व्यक्तियों का कहना है कि कांस्टेबल मनोज ने पीड़ित का मोबाइल छीना, उसको घसीटा, उसके साथ मारपीट की तथा कांस्टेबल मनोज ने पीड़ित को थप्पड़ भी मारे। उन्होंने कहा कि थाना प्रभारी ने भी उनके साथ गाली गलौच किया तथा मारपीट करने की धमकियां दी।

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