सरकार ने ऐसे कानून बना रखे हैं कि बाल मजदूरी कतई नहीं हो सकती है लेकिन जो प्रभावशाली ठेकेदार हैं उनके आगे कानून भी वोने पड जाते हैं । जिन बच्चों की उम्र पढ़ाई लिखाई की है वह बच्चे ठेकेदार ने खैर के कटान में लगा दिए है । खैर के कटान में ठेकेदार तो खूब चांदी कूट रहे हैं लेकिन ऐसे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है उसका जिम्मेदार कौन होगा।
हैरानी की बात तो यह है कि जिस स्थान पर खैरों का कटान चला हुआ है वहां पर वन विभाग के वन रक्षक व अन्य अधिकारी मौजूद रहते हैं उन्हें भी ठेकेदार के दवदबे के आगे घुटने टेकने को मजबूर होना पड़ रहा है । सूत्रों की मानें तो ठेकेदार ने विभाग को अपने जाल में फंसाकर कुछ भी कार्रवाई करने को मना किया होता है । सूत्र बताते हैं कि ऐसे में बाल मजदूरी करवाने वाले ठेकेदार पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि नाबालिग बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने से बच सकें ।
इस बारे में जब सम्बंधित ठेकेदार संजू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चे गरीब हैं इसलिए काम पर लगाना पड़ा । इस संबंध में जब क्षेत्रीय वन विभाग के वन रक्षक सोनी से बात की गई तो उन्होंने माना कि ऐसा है लेकिन विभाग भी कुछ करने में मजबूर है ।
इस मामले के संबंध में जब पुलिस चौकी थुरल के चौकी प्रभारी जितेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसी बात मीडिया के माध्यम से सामने आई है तथा बाल मजदूरी करवाना अपराध है ऐसा कतई नहीं होगा वह खुद जांच करेंगे ।