प्रदेश भर में 7964 आशा वर्कर्ज काम कर रही हैं। वहीं 1 हजार की जनसंख्या में एक आशा वर्कर काम करती है, लेकिन सरकार द्वारा एक आशा वर्कर से 2 हजार जनसंख्या का काम करवाया जा रहा है। कुछ आशा वर्कर ऐसी हैं जो विधवा हैं और कुछ एकल नारी हैं। आशा वर्कर्ज के लिए ड्यूटी का समय भी तय नहीं है। सुबह से लेकर शाम तक 35 किलोमीटर तक आशा वर्कर्ज काम पर दौड़ती रहती हैं।
आशा वर्करों को मात्र एक दिन के 60 रुपए मिलते हैं। सरकार द्वारा काम इतना सौंप दिया गया है कि आशा वर्कर उसे एक दिन में पूरा नहीं कर सकती हैं। एक आशा वर्कर सूई से लेकर डाक्टर तक का काम कर रही है। फिर भी 2 हजार रुपए में गुजारा करना पड़ रहा है। इसके अलावा उन्हें 1500 से 1600 रुपए के करीब सैंटर से इनसंैटिव मिलता है। 6 मार्च को प्रदेश सरकार ने वेतन में 750 रुपए की वृद्धि की थी, लेकिन यह भी अभी तक नहीं मिला हैै। अगर कोई आशा वर्कर घर से बाहर ड्यूटी के दौरान खाना भी खा लेती है तो भी 70 रुपए में मिलता है और सरकार द्वारा 60 ही रुपए दिए जाते हैं।
आशा वर्करों का रूटीन का काम कोविड का कार्य, वैक्सीनेशन सैंटर में ड्यूटी देना, गर्भवती महिलाओं का चैकअप करना, बच्चों का इमोनाइजेशन करना, कैंसर मरीज का सर्वे करना और आंखों में दिक्कत वाले लोगों का सर्वे करना आदि हैं। जो भी कोई नैशनल के काम आते हैं, उसमें आशा वर्कर काम करती है। आशावर्कर्ज को मनरेगा वालों से भी कम दिहाड़ी दी जा रही है।
आशा वर्करों का कहना है कि सरकार द्वारा एक महीने में मोबाइल रिचार्ज करने के लिए 150 रुपए दिए जाते हैं,लेकिन सरकार को यह भी पता होना चाहिए कि आज के समय में 150 रुपए का कौन-सा रिचार्ज होता है। इसके साथ ही आशा वर्करों को दिए गए मोबाइल फोन भी नहीं चल रहे हैं।