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हिमाचल: सरकारी बैंक में बड़ा घोटाला, MD समेत 9 पर FIR, कागज भी कर दिए गायब

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ऊना, 28 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश सरकारी बैंक में हुए करोड़ों के घोटाले से जुड़े एर मामले ने तूल पकड़ लिया है। कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (KCCB) के एक पुराने होटल लोन मामले में बैंक के तत्कालीन शीर्ष अधिकारी से लेकर अन्य कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं।

थाना सदर ऊना में बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार सहित कुल 9 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और आपराधिक साजिश के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।

यह केस जिला मंडी के गांव भूरा, डाकघर राजगढ़ निवासी युद्ध चंद बैंस पुत्र पूरन चंद की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, वर्ष 2016 में उन्होंने कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की ऊना शाखा से होटल प्रोजेक्ट के लिए लोन लिया था।

इस लोन के एवज में उनकी दो संपत्तियां- एमएस होटल हिमालयन विलेज और होटल स्नो मनाली बैंक के पास गिरवी रखी गई थीं। शिकायत में कहा गया है कि शुरुआती दौर में लोन से जुड़ी प्रक्रिया सामान्य रूप से चली, लेकिन बाद में बैंक स्तर पर अनियमितताएं सामने आने लगीं, जिनका खामियाजा सीधे तौर पर उन्हें उठाना पड़ा।

युद्ध चंद बैंस ने आरोप लगाया है कि बैंक के तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने होटल प्रोजेक्ट से संबंधित आधिकारिक लोन रिकॉर्ड के साथ गंभीर छेड़छाड़ की। शिकायत के मुताबिक, लोन फाइल में मौजूद कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, खासकर प्रॉपर्टी वैल्यूएशन से जुड़े कागजात- जो बैंक की कस्टडी में थे, बाद में रहस्यमय तरीके से गायब पाए गए।

आरोप यह भी है कि कुछ रिकॉर्ड को जानबूझकर हटाया गया या नष्ट किया गया, ताकि वास्तविक स्थिति को छिपाया जा सके। इससे न सिर्फ बैंकिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश की ओर भी इशारा करता है।

यतकर्ता का कहना है कि बैंक अधिकारियों ने उसकी गिरवी रखी गई संपत्तियों की वास्तविक बाजार कीमत को जानबूझकर कम दर्शाया। ऐसा करने से न केवल उसकी वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा, बल्कि बाद में लोन को लेकर बैंक द्वारा की गई कार्रवाई भी उसी आधार पर आगे बढ़ी।

युद्ध चंद बैंस के अनुसार, प्रॉपर्टी का सही मूल्यांकन होता तो लोन अकाउंट को एनपीए घोषित करने की स्थिति ही नहीं बनती। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक ने नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए लोन को गलत तरीके से नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित कर दिया।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि लोन को एनपीए घोषित करने से पहले जिन औपचारिक प्रक्रियाओं, नोटिस और समय-सीमा का पालन किया जाना चाहिए था, उन्हें नजरअंदाज किया गया। इससे शिकायतकर्ता को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और उसकी संपत्तियों पर संकट गहराता चला गया।

पुलिस ने इस मामले में कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार सहित 8 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को नामजद आरोपी बनाया है। पुलिस के अनुसार, प्राथमिक जांच में रिकॉर्ड से छेड़छाड़, दस्तावेज नष्ट करने और आपराधिक साजिश के संकेत मिले हैं।

SP ऊना अमित यादव ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी 9 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान बैंक के लोन रिकॉर्ड, फाइलें, वैल्यूएशन रिपोर्ट और उस समय जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की गहन पड़ताल की जा रही है।

इस मामले के सामने आने के बाद सहकारी बैंकिंग व्यवस्था की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर भी सवाल उठने लगे हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला केवल एक व्यक्ति के वित्तीय नुकसान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे सिस्टम में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करेगा। फिलहाल पुलिस हर पहलू से जांच में जुटी है। आने वाले दिनों में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, इस बहुचर्चित बैंक लोन मामले में और भी अहम खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

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