जानकारी के अनुसार फैक्टरी में शराब बनाने के लिए जो ईएनए पाया गया था उससे करीब 5155 देसी शराब की पेटियां बनाई जा सकती थीं। इसका विभाग द्वारा राजस्व आकलन भी किया गया। इसमें लाइसैंस फीस, अतिरिक्त लाइसैंस फीस, पीएसए फंड व एक्साइज ड्यूटी आदि मिलाकर कुल राजस्व राशि 99 लाख रुपए से अधिक बनती थी। यदि विभाग समय पर यह कार्रवाई नहीं करता तो सरकार के राजस्व को एक करोड़ के लगभग चूना लग सकता था।
उप आयुक्त प्रीतपाल सिंह ने बताया कि आबकारी अधिनियम की धारा 43 के तहत कार्रवाई अमल में लाई गई है। देर रात तक चली छापेमारी के बाद मामला दर्ज कर समाहत्र्ता आबकारी दक्षिण रेंज शिमला को आगामी कार्रवाई के लिए केस भेज दिया है। इस दौरान टीम में सहायक आयुक्त भूप राम, गगनेश कुमार, आबकारी निरीक्षण पंकज कुमार, चिरंजी लाल, राजिंद्र के अलावा आबकारी कर्मचारी श्याम लाल आदि मौजूद थे।