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पुलवामा में शहीद मेजर की पत्नी ने पूरा किया पति से अपना आखिरी वादा, बनीं इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट

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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी निकिता ढौंडियाल का सपना जज्बे और हौसले से आखिरकार पूरा हो गया। ओटीए चेन्नई में कड़ी ट्रेनिंग के बाद वह इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। शनिवार को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने उनके कंधे पर सितारे लगाकर उनको बधाई दी। लेफ्टिनेंट निकिता ने पिछले साल इलाहाबाद में वूमेन एंट्री स्कीम की परीक्षा पास की थी। जिस क्षण वह पासिंग आउट परेड में थीं वह यादगार पल बन गया। ज्ञात हो कि कश्मीर के पुलवामा में 8 फरवरी 2019 में आतंकियों का मुकाबल करते हुए देहरादून निवासी मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे। पति के शहीद होने के बाद निकिता ने पति के नक्शे कदम पर चलते देश सेवा करने की सौगन्ध लिया। उन्होंने इलाहाबाद में वूमेन एंट्री स्कीम की परीक्षा पास करने के बाद चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से ट्रेनिंग ली। शनिवार को निकिता लेफ्टिनेंट बनने के बाद वह अपने शहीद पति के आदर्शों को अपनाते हुए देश सेवा के लिए कदम बढ़ाया है। कोरोना के हालात सामान्य होने पर वह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आएंगी।

शहदत के बाद पत्नी निकिता के आंसू नहीं रुके

ढाई साल पहले 18 फरवरी का दिन था। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी देहरादून से दिल्ली के लिए ट्रेन से रवाना हुईं। वह दिल्ली में ही एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थीं। सप्ताह अंत में अक्सर देहरादून अपने ससुराल आती रहती थीं। ट्रेन मुजफ्फरनगर ही पहुंची थी कि आर्मी हेडक्वार्टर से उन्हें फोन आया। फोन सुनते ही उनके सामने अंधेरा हो गया। पति के पुलवामा में शहीद होने की सूचना मिलते ही उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया। आधा रास्ता छोड़ वह तुरंत ही देहरादून लौट आईं। डंगवाल रोड के रहने वाले मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल पुलवामा में रविवार रात हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए। घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। मेजर का पर्थिव शरीर सोमवार की देर शाम देहरादून स्थित उनके घर पर पहुंच गया था। सेना के जवानों के कंधे पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में घर पहुंचे। बेटे को देखकर परिजन बिलख पड़े। परिजन जब शव को देखे तो कोहराम मच गया।

आई लव यू विभूति…

हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट ले जाने से पहले पत्नी निकिता ने भीड़ से हटकर अपने पति को फ्लाइंग दी और कहा- ‘आई लव यू विभूति ’ और ‘मैं भी आपके तरह ही आर्मी ज्वाइन करूंगी यह मेरा वादा है’। यहीं से निकिता का सेना में अफसर बनने का सफर शुरू हो गया। कड़ी मेहनत और परिश्रम के साथ उन्होंने पिछले साल इलाहाबाद में वूमेन एंट्री स्कीम की परीक्षा पास की। चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से प्रशिक्षण लेने के बाद वह शनिवार को लेफ्टिनेंट बन गईं। लेफ्टिनेंट निकिता की पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में हुई है।


घर के सबसे छोटे थे विभूति

तीन बहनों में सबसे छोटे 34 साल के मेजर विभूति की शादी पिछले साल ही 19 अप्रैल को हुई थी। पत्नी निकिता कौल ढौंडियाल दिल्ली में बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती थीं। पिता ओपी ढौंडियाल का निधन 2015 में हो चुका दो बहनों की शादी हो चुकी है। तीसरी बहन की शादी नहीं हुई है। वह दून इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका हैं। ज्ञात हो कि मेजर विभूति ढौंडियाल का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के बैजरों के पास ढौंड गांव का रहने वाला है। विभूति के दादा केएन ढौंडियाल 1952 में दून आकर बस गए थे। विभूति के पिता और दादा दोनों ही राजपुर रोड स्थित एयरफोर्स के सीडीए कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए थे। देखा जाये तो देश सेवा परिवार को विरासत में मिला है।

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