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शिमला, 18 दिसंबर। किसान और पशु पालक- ये समाज का वो तबका है जो बेहद जरूरी है लेकिन यही वो तबका भी है जिसे अपनी मेहनत का दाम सबसे कम मिलता है। ऐसे में हिमाचल की सरकार इन्हें सशक्त करने के लिए एक स्कीम चलाए हुए है।
किसान सीधे कृषि विभाग को बेच सकेंगे गोबर
हिमाचल सरकार मुख्यमंत्री कृषि प्रोत्साहन योजना के तहत गोबर समृद्धि योजना चला रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और पशु धन के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। योजना के तहत किसान गोबर सीधे कृषि विभाग को बेच सकेंगे।
1 क्विंटल 300 रुपये के हिसाब से मिलेंगे दाम
सरकार द्वारा किसानों से 3 रुपये किलो के दाम पर गोबर खरीदा जाता है यानी 1 क्विंटल पर 300 रुपये। ये पैसा पाने के लिए किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे, ये राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंच जाएगी।
DBT से सीधा किसानों के खाते में आएगा पैसा
गौरतलब है कि ये स्कीम डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर इनेबल स्कीम है। इसी के चलते गोबर बेचने के बाद पैसा सीधा किसानों के खातों में पहुंच जाता है। योजना से ना सिर्फ किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है बल्कि प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिल रहा है।
आय का जरिया बनते हैं दूध ना देने वाले पशु
गोबर समृद्धि योजना सिर्फ एक सरकारी खरीद-बिक्री का सौदा नहीं बल्कि ये एक सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल है। लोग इसे सिर्फ सरकारी मदद के रूप में देखते हैं लेकिन जब गोबर काला सोना बनकर बिकता है तो दूध ना देने वाले बेसहारा पशु भी किसान के लिए बोझ नहीं, आय का जरिया बन जाते हैं।
औरतों के लिए बना घर बैठे कमाई का जरिया
ये योजना ग्रामीण महिलाओं के लिए डोरस्टेप इनकम (घर बैठे कमाई) का जरिया बन गई है जिससे उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता अब दूध की मात्रा पर निर्भर नहीं है। पहले जहां गोबर सिर्फ खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, अब वही गोबर एक बिजनेस मॉडल का हिस्सा बन गया है।
