नेशनल डेस्क। श्रीलंका में चक्रवाती तूफ़ान ‘दित्वाह’ से उत्पन्न तबाही के बीच पाकिस्तान द्वारा भेजी गई एक्सपायर राहत सामग्री ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। जब देश के 25 ज़िलों में लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हैं, 212 मौतें हो चुकी हैं, 219 लोग लापता हैं और 1.80 लाख से अधिक नागरिक आश्रय स्थलों में जीवन बचाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे समय में पाकिस्तान से पहुँची सामग्री की अक्टूबर 2024 की एक्सपायरी तिथि देखकर स्थानीय प्रशासन और लोगों में रोष फैल गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में साफ़ दिख रहा है कि कुछ राहत सामान अपनी उपयोग अवधि पार कर चुका है, जिसे पीड़ितों तक पहुँचाना जोखिम भरा हो सकता था।
यह घटना उस समय उजागर हुई है जब श्रीलंका का बुनियादी ढाँचा बुरी तरह चरमरा चुका है—15 हज़ार से अधिक घर ढह गए हैं, 200 से ज्यादा सड़कें टूट गई हैं, 10 पुल क्षतिग्रस्त हैं और कई अस्पताल बाढ़ की चपेट में हैं। स्वच्छ जल, दवाइयों और भोजन की भारी कमी है, वहीं राहत दलों को कई इलाक़ों तक पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में एक्सपायर राहत सामग्री का सामने आना न सिर्फ़ आपदा प्रबंधन की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता की विश्वसनीयता पर भी चोट करता है।
स्थानीय संगठनों और कई विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के इस कदम को “असंवेदनशील” बताते हुए कहा है कि आपदा राहत सिर्फ़ औपचारिकता नहीं, बल्कि पीड़ितों की जीवनरेखा होती है। बताया जा रहा है श्रीलंका प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एक्सपायर सामग्री का उपयोग नहीं किया जाएगा और मामले की समीक्षा की जा रही है। इस घटना ने मानवीय सहायता के मानकों, निगरानी और ज़िम्मेदारी पर गंभीर बहस छेड़ दी है, जबकि श्रीलंका अब भी अपनी सबसे भीषण बाढ़ आपदाओं में से एक से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है।
