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शिमला, 28 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में पिछले दो दिनों से जारी रेजिडेंट डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिले आश्वासन के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी है। इससे प्रदेश भर में प्रभावित हो रही स्वास्थ्य सेवाओं को राहत मिली है और मरीजों ने भी राहत की सांस ली है।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन आईजीएमसी शिमला की ओर से रविवार देर शाम जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा संगठन को यह भरोसा दिया गया है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच करवाई जाएगी और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव नरूला की टर्मिनेशन को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आरडीए ने कहा कि संगठन मुख्यमंत्री के शब्दों पर विश्वास करता है और इसी भरोसे के आधार पर जनहित को ध्यान में रखते हुए हड़ताल को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जा रहा है।
प्रेस नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरडीए इस जांच प्रक्रिया में पूरी तरह से शामिल रहेगा और जब तक डॉ. राघव नरूला की बर्खास्तगी के आदेश औपचारिक रूप से रद्द नहीं हो जाते, तब तक पूरे मामले पर संगठन की नजर बनी रहेगी। एसोसिएशन ने बताया कि आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए 3 जनवरी 2026 को बैठक की जाएगी। आरडीए ने प्रदेश और देश भर के सभी रेजिडेंट डॉक्टर संगठनों, हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और अन्य संगठनों का समर्थन के लिए आभार भी जताया है।
हड़ताल समाप्त होने की घोषणा के साथ ही आईजीएमसी और अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी और नियमित सेवाओं के सुचारू होने की उम्मीद जताई जा रही है। बीते दो दिनों में हड़ताल के कारण मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था, कई नियमित ऑपरेशन टल गए थे और दूर-दराज से आए मरीजों को खासा परेशान होना पड़ा।
इस पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली से शिमला लौटने के बाद सख्त प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को गलत ठहराते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं डॉक्टरों को भरोसा दिया था कि उनके मामले की दोबारा जांच करवाई जाएगी, इसके बावजूद हड़ताल पर जाना उचित नहीं था। उन्होंने डॉक्टरों से “अहंकार छोड़कर” ड्यूटी पर लौटने की अपील की और कहा कि मरीजों का हित सर्वोपरि होना चाहिए।
