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कांगड़ा, 09 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार जिस तेजी से फैल रहा है। नशा तस्करी अब सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाली एक गंभीर चेतावनी बन चुका है। हालात इतने खतरनाक हो चुके हैं कि अब इस अवैध धंधे में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी सक्रिय रूप से शामिल पाई जा रही हैं।
फैल रहा नशे का कारोबार
कई मामलों में तो पूरा परिवार ही चिट्टे-चरस के काले कारोबार में लिप्त मिला है। किसी के घर से सप्लाई का काम होता है, कोई पैसे का लेन-देन संभालता है और कुछ युवक-युवतियां डिलीवरी तक पहुंचाने का रोल निभाते हैं। ऐसा ही एक मामला अब कांगड़ा जिले से सामने आया है।
मां-बेटे घर से करते थे धंधा
यहां नूरपुर पुलिस टीम ने देहरी में एक महिला और उसके दो बेटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। मां-बेटे मिलकर घर से नशे का धंधा करते थे। पुलिस टीम ने रिहायशी मकान में तलाशी के दौरान उनसे अलग-अलग तरह का नशा, कैश और तराजू बरामद किया है।
पूरे इलाके में मचा हड़कंप
पुलिस की इस कार्रवाई के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस टीम ने नशे की खेप को कब्जे में लेकर मां-बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि, एक बेटा अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गया।
पुलिस को घर से क्या-क्या मिला?
130 ग्राम चरस
06.82 ग्राम चिट्टा
102340 रुपए नकदी
डिजीटल तराजू
आरोपियों की पहचान
पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी देहरी, नूरपुर के रहने वाले हैं। आरोपियों की पहचान-
रंजना देवी पत्नी मदन सिंह
सन्नी कुमार पुत्र मदन सिंह
सुनील कुमार उर्फ नोखा पुत्र मदन सिंह
मामले की पुष्टि करते हुए SP नूरपुर कुलभूषण वर्मा ने बताया कि पुलिस टीम ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। दो आरोपी पुलिस हिरासत में हैं, जबकि, एक आरोपी मौके से फरार हो गया। पुलिस टीम द्वारा उसकी तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस कारोबार में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बक्शा नहीं जाएगा।
वहीं, लोगों का कहना है कि कुछ गांवों में ऐसे परिवार पकड़े गए हैं जिनके तीन-तीन सदस्य इस गंदे धंधे में शामिल थे। महिलाएं अक्सर शक से बचने के लिए "कूरियर" की भूमिका निभाती हैं और सुरक्षित जोन माने जाने वाले इलाकों में आसानी से पहुंचकर सौदा निपटा देती हैं। इस वजह से नेटवर्क और भी मजबूत और पकड़ में आने में कठिन हो जाता है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन मामलों में नशे का प्रभाव केवल बाहरी सप्लायरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्थानीय युवक भी चिट्टे की चपेट में आकर धीरे-धीरे खुद डीलर बनने लगे हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जब एक परिवार का सदस्य नशे में फंसता है, तो धीरे-धीरे घर के बाकी लोग भी या तो उसकी "हेल्प" करने के नाम पर शामिल हो जाते हैं, या लालच में यह धंधा पकड़ लेते हैं।
ऐसे मामलों ने समाज में गहरी बेचैनी पैदा कर दी है। गांवों में युवाओं का भविष्य बिगड़ने का डर है, माता-पिता अपने बच्चों के लिए असुरक्षित माहौल महसूस कर रहे हैं। स्कूलों-कॉलेजों के आसपास भी चिट्टे का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
हालांकि पुलिस कड़ा रुख अपनाए हुए है और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हो रही हैं, पर विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सख्ती से ही समाधान नहीं मिलेगा। समाज को भी खुलकर सामने आना होगा- सूचनाएं साझा करनी होंगी, नशामुक्ति जागरूकता बढ़ानी होगी और परिवारों में संवाद को मजबूत करना होगा।
