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Himachal BREAKING: गुड़िया केस में बड़ा मोड़, कोर्ट ने IG जैदी की सजा पर लगाई रोक

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 23 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के सबसे चर्चित और संवेदनशील गुड़िया रेप-मर्डर मामले में बड़ा मोड़ आया है। जांच के दौरान गुड़िया मामले में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में दोषी ठहराए पूर्व IG सैयद जहूर हैदर जैदी की उम्रकैद की सजा सस्पेंड कर दी गई है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में IG सैयद जहूर हैदर जैदी की सजा पर रोक लगा दी है। हालांकि, हाईकोर्ट का विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सूरज का परिवार मायूस है।

इससे पहले चंडीगढ़ स्थित CBI की विशेष अदालत ने इसी साल 18 जनवरी को IG जैदी सहित कुल 8 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी करार दिया था। इसके बाद 21 जनवरी को अदालत ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

इन अधिकारियों को मिली थी उम्रकैद
CBI कोर्ट ने जिन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया था, उनमें

तत्कालीन IG सैयद जहूर हैदर जैदी
ठियोग के तत्कालीन DSP मनोज जोशी
SI राजिंदर सिंह
ASI दीप चंद शर्मा
ऑनरेरी हेड कॉन्स्टेबल मोहन लाल
ऑनरेरी हेड कॉन्स्टेबल सूरत सिंह
हेड कॉन्स्टेबल रफी मोहम्मद
कॉन्स्टेबल रानित

IG जहूर जैदी ने CBI कोर्ट के इस फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फिलहाल उनकी सजा को सस्पेंड कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि अपील पर अंतिम फैसला आने तक उन्हें सजा नहीं भुगतनी होगी, लेकिन दोषसिद्धि पर अभी रोक नहीं लगी है।

पूरा मामला 2017 का है, जब शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र में एक 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा (गुड़िया नाम काल्पनिक) स्कूल से घर लौटते समय लापता हो गई थी। 6 जुलाई 2017 को उसका शव तांदी जंगल में निर्वस्त्र अवस्था में मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप के बाद हत्या की पुष्टि हुई थी।

मामले की जांच के लिए तत्कालीन IG जैदी की अध्यक्षता में SIT गठित की गई। SIT ने सूरज और राजू नाम के दो युवकों को हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान सूरज की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई।

पुलिस ने शुरुआत में सूरज की मौत के लिए दूसरे आरोपी राजू को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की। लेकिन सूरज की मौत के बाद हालात बेकाबू हो गए। गुस्साई भीड़ ने कोटखाई पुलिस थाना फूंकने की कोशिश की। प्रदेश भर में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जांच CBI को सौंप दी। CBI जांच में सामने आया कि सूरज की मौत पूछताछ के दौरान पुलिस टॉर्चर के कारण हुई थी।

CBI के अनुसार, सूरज के शरीर पर 20 से अधिक चोटों के निशान थे। AIIMS के डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड ने यातना की पुष्टि की। सबूतों से छेड़छाड़ और साजिश के भी संकेत मिले। इसके बाद CBI ने IG जैदी, SP शिमला सहित कुल 9 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ हत्या (धारा 302), सबूत मिटाने सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया।

इस हाई-प्रोफाइल केस के दौरान IG जैदी के करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। IG जैदी 1994 बैच के IPS अधिकारी हैं और करीब 582 दिन शिमला की कंडा जेल में रह चुके हैं।

अगस्त 2017 में गिरफ्तारी के बाद उन्हें सस्पेंड किया गया
करीब ढाई साल बाद नवंबर 2019 में बहाल किया गया
अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली
जनवरी 2020 में भाजपा सरकार ने उन्हें फिर सस्पेंड किया
जनवरी 2023 में कांग्रेस सरकार ने सेवाएं बहाल कीं
सितंबर 2023 में मुख्यालय में तैनाती दी गई

वहीं, गुड़िया के वास्तविक रेप-मर्डर केस में CBI ने अनिल कुमार उर्फ नीलू को आरोपी बनाया था। अप्रैल 2018 में CBI ने नीलू को गिरफ्तार किया, 28 अप्रैल 2021 को दोषी ठहराया गया। 18 जून 2021 को शिमला की विशेष अदालत ने उसे नाबालिग से रेप और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई

IG जैदी की सजा सस्पेंड होने के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के विस्तृत आदेश और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर टिकी हैं। यह केस न सिर्फ हिमाचल बल्कि पूरे देश में पुलिस हिरासत, जवाबदेही और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता रहा है।

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