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व्यवस्था परिवर्तन के दावे खोखले, आर्थिक संकट में HRTC पेंशनर्स, सरकार पर भेदभाव के आरोप

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बिलासपुर, 23 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) के स्वर्णिम जयंती वर्ष से लेकर अब तक पेंशनरों को समय पर पेंशन और सेवारत कर्मचारियों को वेतन, ओवरटाइम व रात्रि भत्ता न मिलने को लेकर गहरा आक्रोश सामने आया है। परिवहन पेंशनरों का आरोप है कि प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार जानबूझकर HRTC पेंशनरों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है, जबकि अन्य विभागों के पेंशनरों को हर माह की पहली तारीख को पेंशन का भुगतान हो जाता है।

पेंशनरों का कहना है कि “व्यवस्था परिवर्तन” का दावा करने वाली सरकार ने आज तक परिवहन पेंशनरों के हित में कोई ठोस नीतिगत निर्णय नहीं लिया और न ही उनकी समस्याओं को लेकर कोई बैठक बुलाई गई। आरोप है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के बीच आपसी खींचतान और अंदरूनी मतभेदों का खामियाजा HRTC को भुगतना पड़ रहा है, जिससे निगम एक तरह से सरकार की “लाचार दासी” बनकर रह गया है। इसका सीधा असर वरिष्ठ नागरिक परिवहन पेंशनरों पर पड़ रहा है, जो इस उम्र में गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

पेंशनरों ने यह भी स्पष्ट किया कि हिमाचल परिवहन निगम प्रदेश की जनता के लिए आवागमन का प्रमुख और सुलभ साधन है। सर्पीली पहाड़ी सड़कों पर दौड़ती निगम की बसें राज्य के विकास की पहचान हैं और इसे केवल नफा–नुकसान के तराजू में नहीं तौला जा सकता। वर्ष 1974 में सरकारी विभाग (HGT) से परिवहन निगम में परिवर्तित होने के बावजूद सरकार द्वारा “कॉरपोरेशन” का तर्क देकर पेंशनरों और कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार करना अनुचित है।

आर्थिक संकट के तर्क पर भी पेंशनरों ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यदि राज्य पर इतना ही आर्थिक बोझ है तो फिर पांच सलाहकारों के सहारे चल रही सरकार द्वारा हाल ही में पांच उपाध्यक्षों की नियुक्ति कैसे की गई? साथ ही, विपक्ष के सहयोग से मंत्रियों और विधायकों के वेतन–भत्तों में की गई बढ़ोतरी सरकार की कथित तंगी की पोल खोलती है।

पेंशनरों ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं HRTC कर्मचारी रहे श्रद्धेय रसीला राम जी के सुपुत्र हैं और अक्सर परिवहन कर्मचारियों व पेंशनरों को अपने परिवार का सदस्य बताते हैं। ऐसे में उनसे अपेक्षा है कि वे यथास्थिति को तोड़ते हुए परिवहन निगम और उसके पेंशनरों के हित में ठोस व क्रांतिकारी निर्णय लें, ताकि इतिहास उन्हें एक संवेदनशील और निर्णायक नेता के रूप में याद रखे।

परिवहन पेंशनरों ने सरकार के रवैये को घोर अन्याय और अत्याचार की श्रेणी में बताते हुए चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र नीतिगत निर्णय नहीं लिए गए तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसी कड़ी में 31 दिसंबर को सुंदरनगर में पेंशनरों के प्रमुख नेताओं की एक आवश्यक बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की संघर्ष रणनीति तय की जाएगी।

इस संबंध में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रताप ठाकुर, सतीश नड्डा, सुभाष वर्मा, रोशन ठाकुर, कमलदेव सहित अन्य पेंशनर नेता उपस्थित रहे।

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