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CM Sukhu: कर्ज में डूबे दुकानदारों के लिए राहत पैकेज, सरकार देगी एक लाख तक की सहायता

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शिमला, 21 दिसंबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने शहरी क्षेत्रों में छोटे स्तर पर कारोबार करने वाले दुकानदारों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना को शहरी निकायों तक विस्तारित करने की घोषणा की है। इसके तहत प्रदेश के सभी शहरी स्थानीय निकायों में योजना लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह योजना पहले वर्ष 2023 में ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदारों के लिए शुरू की गई थी। वर्ष 2025-26 के बजट प्रावधानों के अनुरूप अब इसे शहरी क्षेत्रों में भी लागू किया गया है, ताकि छोटे व्यापारियों को वित्तीय संकट से उबारा जा सके।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में छोटे दुकानदारों को कारोबार बढ़ाने के लिए अक्सर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। बैंक ऋण समय पर न चुका पाने के कारण कई दुकानदारों के खाते एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) में बदल जाते हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने शहरी छोटे व्यापारियों को इस योजना के दायरे में लाने का निर्णय लिया है।

योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के वे छोटे दुकानदार पात्र होंगे, जिनका वार्षिक कारोबार 10 लाख रुपये से कम है और जिन्होंने बैंकों से व्यवसायिक ऋण लिया है, जो एनपीए घोषित हो चुका है। सरकार बैंक के माध्यम से वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) के तहत अधिकतम एक लाख रुपये तक की सहायता प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन लाभार्थियों पर मूलधन और ब्याज सहित कुल बकाया राशि एक लाख रुपये तक है, उनका पूरा निपटान योजना के अंतर्गत किया जाएगा। यदि बकाया राशि एक लाख रुपये से अधिक है तो शेष राशि लाभार्थी को स्वयं जमा करनी होगी, जबकि राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की एकमुश्त सहायता दी जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम ऋण सीमा 10 लाख रुपये निर्धारित की गई है।

उन्होंने बताया कि योजना को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकायों, बैंकों, एक नोडल बैंक और शहरी विकास विभाग को शामिल करते हुए संस्थागत व्यवस्था तैयार की गई है। मध्यवर्ती अवधि का ब्याज माफ किया जाएगा और किसी प्रकार का प्रोसेसिंग या प्रशासनिक शुल्क नहीं लिया जाएगा।

इस योजना से फल-सब्जी विक्रेता, चाय स्टॉल और ढाबा संचालक, नाई, पान विक्रेता, मोची, चाट विक्रेता, गैरेज मालिक, दर्जी, किराना दुकानदार, मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले, रेहड़ी-पटरी वाले और अन्य छोटे खुदरा व्यापारी लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 के बीच लिए गए बिना जमानत (कोलेटरल-फ्री) व्यवसायिक ऋणों पर लागू होगी। जानबूझकर ऋण न चुकाने, धोखाधड़ी या कदाचार से जुड़े मामलों को योजना से बाहर रखा जाएगा, जिनकी पहचान बैंक करेंगे।

योजना का लाभ केवल हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी उठा सकेंगे। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और परिवार का कोई भी सदस्य नियमित सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं होना चाहिए। आवेदन संबंधित शहरी स्थानीय निकाय में जमा होंगे, जिनका सत्यापन कर बैंकों को भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना छोटे दुकानदारों को ऋण मुक्त होकर अपने व्यवसाय को पुनः सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी, जिससे शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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