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हिमाचल: 95 करोड़ से पांच नई एमआरआई, सात मेडिकल कॉलेजों में लगेंगी सीटी स्कैन मशीनें

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शिमला, 2 नवम्बर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में नैदानिक (डायग्नोस्टिक) सुविधाओं के उन्नयन के लिए 213.75 करोड़ रुपये की लागत से व्यापक परियोजना लागू की जा रही है।

इस परियोजना का उद्देश्य बीमारियों का समय पर पता लगाना और मरीजों को शीघ्र तथा सटीक उपचार उपलब्ध कराना है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरणों की स्थापना कर स्वास्थ्य ढांचे को आधुनिक बनाया जाए।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, आईजीएमसी शिमला, चमियाना अस्पताल, नेरचौक मेडिकल कॉलेज, नाहन मेडिकल कॉलेज और चंबा मेडिकल कॉलेज के लिए 95 करोड़ रुपये की लागत से पांच उच्च-रिजोल्यूशन क्षमता वाली एमआरआई मशीनें खरीदी जा रही हैं। इसके अलावा, सात मेडिकल कॉलेजों में 28 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत सीटी इमेजिंग मशीनें लगाई जाएंगी।

इसके साथ ही 8.75 करोड़ रुपये की लागत से 35 डिजिटल रेडियोग्राफी इकाइयां, 14 करोड़ रुपये की लागत से 14 सीलिंग-सस्पेंडेड डीआर एक्स-रे मशीनें, 14 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत अल्ट्रासाउंड इमेजिंग मशीनें, तथा समान राशि से 7 डिजिटल मैमोग्राफी इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। इसके अलावा शिमला के कमला नेहरू अस्पताल सहित सात मेडिकल कॉलेजों में 40 करोड़ रुपये की लागत से आठ इमेजिंग आर्काइव और रिट्रीवल टेक्नोलॉजी सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से विचार-विमर्श के बाद यह योजना तैयार की गई है। उन्होंने आईजीएमसी, टांडा मेडिकल कॉलेज और चमियाना अस्पताल के विशेषज्ञों से विस्तारपूर्वक चर्चा कर परियोजना को व्यवहारिक रूप देने के निर्देश दिए।

प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की प्राथमिकता प्रदेशवासियों को राज्य के भीतर ही उच्च-गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है, ताकि लोगों को महंगे इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।

राज्य सरकार स्वास्थ्य प्रणाली के अन्य पहलुओं को भी सुदृढ़ कर रही है। स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और तकनीशियनों के रिक्त पदों को भरा जा रहा है, साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से चिकित्सा पेशेवरों के कौशल और दक्षता को बढ़ाने पर विशेष बल दिया जा रहा है।

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