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शिमला, 01 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी कर्मचारियों को समय पर वित्तीय लाभ न देने पर राज्य सरकार और परिवहन निगम के रवैये पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि आर्थिक स्थिति को आधार बनाकर कर्मचारियों के अधिकारों से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है। अदालत ने मुख्य सचिव को शपथपत्र दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की, जो एचआरटीसी कर्मचारियों ने अदालत के आदेशों की अनुपालना न होने पर दाखिल की थीं। अदालत ने पहले ही इन कर्मचारियों को एक वर्ष के अनुबंध के बाद नियमित करने और सभी सेवा लाभ देने का फैसला सुनाया था, लेकिन अब तक इसका पूर्ण पालन नहीं हुआ।
सुनवाई के दौरान निगम की ओर से बताया गया कि पिछले तीन महीनों में करीब 634 कर्मचारियों को 13 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इनमें से 427 कर्मचारियों को एक किस्त का भुगतान कर दिया गया है, जो कुल लाभार्थियों का लगभग 70 प्रतिशत है।
एचआरटीसी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार से 50 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि मांगी गई है ताकि कर्मचारियों के सभी बकाये एक साथ चुकाए जा सकें। यदि यह संभव नहीं है, तो हर महीने 2-3 करोड़ रुपये की किश्तों में राशि दी जाए, ताकि धीरे-धीरे सभी लंबित भुगतान निपटाए जा सकें।
निगम ने यह भी बताया कि लाभार्थी कर्मियों को कुल 100 करोड़ रुपये की बकाया राशि वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2028 तक अदा कर दी जाएगी। निगम का मासिक राजस्व 60 से 70 करोड़ रुपये के बीच है, इसलिए धीरे-धीरे किस्तों में भुगतान संभव है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह अगली सुनवाई से पहले स्पष्ट करे कि कर्मचारियों के बकाये और सेवा लाभों को कब तक पूरा किया जाएगा। अदालत ने कहा कि कर्मचारियों के अधिकारों में देरी प्रशासनिक लापरवाही की मिसाल है और इसे सहन नहीं किया जाएगा
