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CM सुक्खू ने जताया राजधानी पर दावा, कार्यक्रम के दौरान कहा चंडीगढ़ पर हिमाचल का हक, यहां जानें

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 23 नवंबर। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को लेकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब और हरियाणा के बीच राजधानी के दावे को अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चुनौती दे दी है। आनंदपुर साहिब में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश का भी उतना ही अधिकार है जितना पंजाब और हरियाणा का है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रस्ताव लेकर आई है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर आनंदपुर साहिब में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने ऐतिहासिक तर्क देते हुए अपना पक्ष रखा। सुक्खू ने कहा कि पंजाब के पुनर्गठन के दौरान हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश भी अस्तित्व में आया था। इसलिए चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश के हक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उनके इस दावे ने चंडीगढ़ को लेकर पहले से चल रहे जटिल विवाद में एक नया आयाम जोड़ दिया है।

इस बयान का राजनीतिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव के बाद आया है जिसमें चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने की बात कही गई है। संविधान का यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है। वर्तमान में चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल द्वारा चलाया जाता है। यदि प्रस्तावित संविधान संशोधन पारित होता है तो चंडीगढ़ का प्रशासन एक स्वतंत्र प्रशासक या लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथों में चला जाएगा।

केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का पंजाब के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने तीखा विरोध किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार इस संशोधन का कड़ा विरोध करती है क्योंकि यह पंजाब के हितों के विरुद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है और वे अपना यह अधिकार किसी को भी छीनने नहीं देंगे। कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने भी इस प्रस्ताव को पंजाब के साथ अन्याय बताया है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस प्रस्ताव को पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार संघीय ढांचे की धज्जियां उड़ाकर पंजाबियों के हक छीनने पर तुली हुई है। शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने चेतावनी दी है कि इस संशोधन विधेयक का पारित होना पंजाब के साथ धोखा होगा।

विवादों के बीच गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश करने का कोई इरादा नहीं है। मंत्रालय के अनुसार यह प्रस्ताव अभी केवल विचाराधीन है और इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था में बदलाव करना नहीं है।

मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव केवल केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार के कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने से संबंधित है। चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद ही कोई उचित फैसला लिया जाएगा। इस सफाई के बावजूद पंजाब में राजनीतिक हलचल जारी है और सभी दल सतर्क नजर आ रहे हैं।

चंडीगढ़ शहर का इतिहास इस विवाद की जड़ में है। वर्ष 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित किया गया था। विभाजन के बाद लाहौर पाकिस्तान में चला गया था जिसके बाद चंडीगढ़ को पंजाब की नई राजधानी के रूप में विकसित किया गया। दशकों से चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच दावा-प्रतिदावा चलता रहा है।

वर्ष 1970 में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के एक प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया था। बाद में राजीव-लोंगोवाल समझौते में चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की समय सीमा जनवरी 1986 तय की गई थी। हालांकि यह समझौता आज तक लागू नहीं हो सका है। अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के दावे ने इस ऐतिहासिक विवाद को और जटिल बना दिया है।

शिरोमणि अकाली दल ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपनी कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई है। पार्टी नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि इस बैठक में केंद्र के कदम का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रणनीति तय की जाएगी। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अनुरोध किया है कि वह विधानसभा सत्र में इस पंजाब विरोधी कदम का कड़ा विरोध करें।

उन्होंने कहा कि एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए ताकि पंजाब एकजुट होकर इस गैर-संवैधानिक हमले के खिलाफ अपनी आवाज उठा सके। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि इस संशोधन विधेयक से पंजाब की राजधानी पर ऐतिहासिक और भावनात्मक दावे को प्रभावी रूप से कमजोर किया जा सकेगा। सभी दल इस मुद्दे पर एकजुट दिखाई दे रहे हैं।

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