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सुक्खू सरकार ने मेयर का बढ़ाया कार्यकाल, विपक्ष बोला - मित्र मंडली के लिए बदले नियम

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 25 अक्टूबर। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट बैठक के एक फैसले ने हिमाचल की राजनीति में नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है। कैबिनेट ने शिमला नगर निगम सहित प्रदेश के सभी नगर निगमों में मेयर का कार्यकाल ढाई साल से बढ़ाकर पांच साल करने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के साथ ही विपक्ष ने सुक्खू सरकार पर एक बार फिर मित्र मंडली की सरकार चलाने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है।
 
इस निर्णय का सीधा फायदा मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाने वाले शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान उर्फ गुड्डू को मिलेगा, जिनका ढाई साल का कार्यकाल 15 नवंबर को पूरा होने वाला था। अब वे अगले ढाई साल तक अपने पद पर बने रहेंगे। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाने वाले सुरेंद्र चौहान का कार्यकाल 15 नवंबर को समाप्त होने वाला था। ऐसे में अब इस फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे सीधे.सीधे मित्र मंडली को फायदा पहुंचाने वाला फैसला करार दिया है।

विपक्ष पहले से ही मित्र मंडली की सरकार के लगाता है आरोप
बता दें कि हिमाचल की सुक्खू सरकार पर विपक्ष यानी भाजपा नेता अकसर मित्रों की सरकार और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने वाली सरकार के आरोप लगाते रहे हैं। विपक्ष के इन आरोपों को आज सुक्खू कैबिनेट में लिए गए इस निर्णय से और हवा मिल गई है। यानी भाजपा को अब कांग्रेस सरकार को घेरने का बैठे बैठाए ही एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। 

आरक्षण रोस्टर के अनुसार अगले ढाई साल के लिए शिमला के मेयर का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित होना तय था। इस आधार पर कांग्रेस पार्षद सिमी नंदा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही थी। उनके अलावा उर्मिला कश्यप और रचना के नाम भी चर्चा में थे। मगर कार्यकाल बढ़ने के फैसले के बाद इन सभी के मेयर बनने के सपने अधूरे रह गए हैं।

मेयर और डिप्टी मेयर के लिए ढाई-ढाई साल के कार्यकाल का प्रावधान पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में किया गया था। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने अब इस नियम को बदलते हुए इसे पांच साल का बना दिया है। शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान और डिप्टी मेयर उमा कौशल ने 15 मई 2023 को पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। अब इनका कार्यकाल 2030 तक चलेगा।

शिमला नगर निगम में कांग्रेस के पास कुल 25 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के पास 8 और माकपा समर्थित 1 पार्षद है। नगर निगम के 34 वार्ड तीन विधानसभा क्षेत्रों शिमला शहरी, शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी में फैले हुए हैं। फिलहाल मेयर और डिप्टी मेयर दोनों ही शिमला शहरी क्षेत्र से हैं, इसलिए अटकलें हैं कि भविष्य में डिप्टी मेयर का पद शिमला ग्रामीण को दिया जा सकता है।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मेयर का कार्यकाल बढ़ाकर सरकार ने चुनाव से भागने का रास्ता चुना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू को अपनी नाकामियों और जनता के मूड का अंदाजा है। उन्हें डर है कि कांग्रेस के पार्षद भी अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट नहीं देंगे। इसलिए सरकार ने चुनाव से बचने के लिए नियम ही बदल दिया। जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि यह फैसला लोकतंत्र के खिलाफ है और कांग्रेस अब हर स्तर पर चुनाव टालने की नीति पर चल रही है। पहले नगर निकाय चुनाव टाले गए, फिर पंचायत चुनाव स्थगित किए गए और अब मेयर चुनाव को ही खत्म कर दिया गया।

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