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नई दिल्ली, 03 अक्टूबर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहा है, जिसके तहत लोन पर खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक सामानों को समय पर EMI न भरने की स्थिति में दूर से लॉक किया जा सकेगा। यह कदम मुख्य रूप से छोटे उपभोक्ता लोन पर केंद्रित होगा, जिनसे लोग मोबाइल फोन, टीवी, लैपटॉप, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते हैं।
जानकारी के अनुसार, EMI पर खरीदे जाने वाले डिवाइस में पहले से ही ऐसा सॉफ्टवेयर या एप इंस्टॉल किया जाएगा जिसे बैंक या फाइनेंस कंपनी रिमोट से नियंत्रित कर सकेगी। ग्राहक अगर तय समय पर किस्त नहीं चुकाता है तो संबंधित डिवाइस को लॉक कर दिया जाएगा और वह तब तक इस्तेमाल योग्य नहीं रहेगा जब तक कि पूरा बकाया न चुका दिया जाए।
यह व्यवस्था कई देशों में पहले से लागू है। अमेरिका में कार लोन पर "किल स्विच" तकनीक का इस्तेमाल होता है, वहीं कनाडा में "स्टार्टर इंटरप्ट डिवाइस" और अफ्रीका में "पे-एज-यू-गो" सोलर सिस्टम इसी तकनीक से चलते हैं।
हालांकि, इस नए सिस्टम को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बैंकों को डिवाइस लॉक करने का अधिकार मिलता है तो उनके पास लाखों यूजर्स के डेटा तक पहुंच होगी, जिससे डेटा सिक्योरिटी, प्राइवेसी और साइबर क्राइम का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, जरूरी डिवाइस जैसे मोबाइल फोन या कार लॉक होने से रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर पड़ने की आशंका है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगर इस व्यवस्था को लागू किया जाता है तो इन लोन को "सिक्योर्ड लोन" की श्रेणी में लाना होगा और इसके साथ ब्याज दरें भी घटानी पड़ेंगी। वर्तमान में ऐसे उपभोक्ता लोन कोलेटरल-फ्री होते हैं और इन पर 14 से 16 प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल लाखों उपभोक्ता EMI पर इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदते हैं। अनुमान है कि देश में एक-तिहाई से ज्यादा मोबाइल फोन किस्तों पर खरीदे जाते हैं। ऐसे में यदि यह नया सिस्टम लागू होता है तो इसका सीधा असर करोड़ों ग्राहकों पर पड़ेगा।
