न्यूज अपडेट्स
शिमला, 04 अक्टूबर। हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (एचआरटीसी) की वित्तीय हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बरसात के महज ढाई महीनों में निगम को करीब 100 करोड़ रुपये का नुक़सान झेलना पड़ा है। इसका सीधा असर कर्मचारियों और पेंशनर्ज की सैलरी पर पड़ा है। निगम की आर्थिक तंगी के चलते अगस्त माह की पेंशन सितम्बर में भी पेंशनर्ज को नहीं मिल पाई और अब तक इस महीने का वेतन भी जारी नहीं किया गया है। पेंशनर्ज की तो दो महीने की पेंशन लंबित हो चुकी है।
निगम प्रबंधन ने सरकार से अतिरिक्त ग्रांट की मांग की है, ताकि दीपावली से पहले कर्मचारियों और पेंशनर्ज को राहत मिल सके। निगम को हर महीने करीब 46 करोड़ रुपये वेतन और 23.50 करोड़ रुपये पेंशन के लिए चाहिए। वर्तमान में निगम के पेंशनर्ज की संख्या लगभग 8,500 है।
सितम्बर में सरकार ने एचआरटीसी को 56 करोड़ रुपये की ग्रांट जारी की थी, जिसमें से 46 करोड़ रुपये वेतन पर खर्च हो गए। नतीजतन निगम पेंशन जारी नहीं कर पाया। मजबूरी में प्रबंधन ने केवल 65 वर्ष से अधिक आयु वाले पेंशनर्ज को ही पेंशन जारी की, मगर इनमें से भी आधों को अभी तक पेंशन नहीं मिली।
पेंशन न मिलने से आक्रोशित पेंशनर्ज अब आंदोलन की राह पर हैं। एचआरटीसी पेंशनर्ज संयुक्त संघर्ष समिति ने 15 अक्तूबर को निगम मुख्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। समिति के महासचिव राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि इसके लिए निगम प्रबंधन को ज्ञापन भेज दिया गया है और चालक-परिचालक यूनियनों से भी सहयोग मांगा गया है।
पेंशनर्ज का आरोप है कि पिछले एक साल से उन्हें समय पर पेंशन नहीं मिल रही, जिससे दवाइयों, रोज़मर्रा के खर्च और परिवार का गुज़ारा करना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि सरकार और निगम दोनों उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं।
